सेहत के लिए पर्याप्त सुकून भरी नींद जरूरी है। बुजुर्गों पर कई सालों के अध्ययन में पाया गया कि सामान्य मात्रा में सोने वालों की तुलना में जरूरत से कम और जरूरत से बहुत ज्यादा दोनों ही सूरत में सोनों वालों की याददाश्त में कमी देखी गई। इस दौरान अल्जाइमर रोग के प्रभावों को ध्यान रखा गया। यह अध्ययन सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने किया। खराब नींद और अल्जाइमर रोग दोनों ही याददाश्त में गिरावट से जुड़े हैं। प्रत्येक के प्रभावों को अलग करना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है।
बुजुर्गों की याददाश्त को ट्रैक किया गयाः
कई वर्षों तक बुजुर्ग प्रतिभागियों के एक बड़े समूह में याददाश्त संबंधी कार्यों को ट्रैक करके और अल्जाइमर से संबंधित प्रोटीन के स्तर और नींद के दौरान मस्तिष्क की गतिविधि का विश्लेषण करके शोधकर्ताओं ने महत्वपूर्ण डेटा तैयार किया। यह नींद, अल्जाइमर और याददाश्त संबंधी कार्यों के बीच जटिल संबंधों को सुलझाने में मदद करता है। अध्ययन के निष्कर्ष बढ़ती उम्र के साथ दिमाग तेज रखने की कोशिश में लोगों की मदद कर सकते हैं। अध्ययन जर्नल ब्रेन में प्रकाशित हुआ है। न्यूरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्लीप मेडिसिन सेंटर के निदेशक ब्रेंडन लुसी का कहना है कि यह निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण रहा है कि नींद और अल्जाइमर रोग के विभिन्न चरण एक-दूसरे से कैसे जुड़े हैं, लेकिन उपायों को डिजाइन करना शुरू करने के लिए यही जानने की जरूरत है।
पर्याप्त नींद में स्थित रही याददाश्तः
शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चला है कि कुल नींद के समय में सामान्य अवधि की नींद ऐसी स्थिति है, जहां समय के साथ याददाश्त का प्रदर्शन स्थिर रहा। जरूरत से कम और अधिक लंबी नींद की अवधित याददाश्त के खराब प्रदर्शन से जुड़ी थी। शायद अपर्याप्त नींद या खराब नींद की गुणवत्ता के कारण ऐसा रहा। एक प्रश्न यह भी है कि अगर हम नींद में सुधार करने के लिए प्रयास करते हैं, जैसे कि कम अवधि तक सोने वालों के लिए सोने के समय में एक घंटा या इससे अधिक बढ़ाना तो क्या इससे उनकी याददाश्त संबंधी प्रदर्शन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, ताकि अब गिरावट न आए? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमें अधिक विस्तृत डेटा की आवश्यकता है।
नींद और अल्जाइमर के अलग-अलग प्रभाव देखे गएः
अल्जाइमर बुजुर्गों में संज्ञानात्मक गिरावट का मुख्य कारण है, जो डिमेंशिया के लगभग 70 प्रतिशत मामलों में योगदान देता है। खराब नींद रोग का एक सामान्य लक्षण है और यह रोग की प्रगति को तेज कर सकती है। अध्ययनों से पता चला है कि छोटी और लंबी अवधि की नींद लेने वालों में याददाश्त संबंधी परीक्षणों में खराब प्रदर्शन करने की अधिक संभावना रहती है। लेकिन इस तरह के नींद के अध्ययन में आमतौर पर अल्जाइमर रोग का आकलन शामिल नहीं होता है।
नींद और अल्जाइमर रोग के अलग-अलग प्रभावों को अलग करने के लिए लुसी और उनके सहयोगियों ने अल्जाइमर के अध्ययन के लिए भाग लेने वाले प्रतिभागियों पर फोकस किया। ऐसे प्रतिभागियों का वार्षिक नैदानिक और याददाश्त संबंधी मूल्यांकन हुआ। उच्च जोखिम वाले अल्जाइमर के आनुवंशिक संस्करण के परीक्षण के लिए इन प्रतिभागियों के ब्लड सैंपल लिए गए। कुल मिलाकर शोधकर्ताओं ने 100 प्रतिभागियों पर नींद और अल्जाइमर का डेटा प्राप्त किया।
इन प्रतिभागियों के संज्ञानात्मक कार्य की निगरानी औसतन साढ़े चार सालों तक की गई। अधिकांश (88 प्रतिभागी) में कोई याददाश्त संबंधी हानि नहीं देखी गई। 11 प्रतिभागियों में बहुत हल्के असर देखा गया और एक प्रतिभागी की याददाश्त में हल्की हानि देखी गई। प्रतिभागियों की औसत आयु 75 थी। शोधकर्ताओं ने नींद और याददाश्त में गिरावट के बीच एक यू-आकार का संबंध पाया।