एलडीए कर्मचारियों और प्रॉपर्टी डीलरों की मिलीभगत से जमीन का एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। गोमतीनगर में प्राधिकरण के 40 करोड़ के 18 भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री करा दी। मामले की जानकारी के बाद एलडीए के अफसर सकते में आ गए। सचिव और अपर सचिव ने पूरे प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए अफसर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी में है। इन सभी की रजिस्ट्री के दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं।
गोमती नगर के 13 फर्जी भूखंडों की रजिस्ट्री का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि 18 और भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री का खुलासा हुआ है। इन मामलों ने प्राधिकरण अफसरों के होश उड़ा दिए हैं। फर्जीवाड़े के यह मामले भी पिछले दो वर्षों के भीतर हुए हैं। एक तरफ अधिकारी फर्जीवाड़ा रोकने का फुलप्रूफ इंतजाम करने में लगे हैं, तो दूसरी तरफ भूमाफिया तथा प्रॉपर्टी डीलर बेखौफ फर्जीवाड़े में लगे हैं। जिन 18 नए भूखंडों के फर्जीवाड़े की जानकारी हुई है। ये सभी पॉश इलाके गोमती नगर योजना के हैं।
कहां से मिल रहे फर्जीवाड़े के लिए खाली भूखंड
आधिकारिक तौर पर एलडीए के पास कोई भूखंड रिक्त नहीं है। यह बात प्राधिकरण अदालत को भी बता चुका है, इसीलिए वह उन आवंटियों के भूखंडों का भी समायोजन नहीं कर रहा है जिनके प्लॉट विवादों में फंसे हैं। प्राधिकरण खुद प्लाट नहीं होने की बात कहता है लेकिन हर महीने उसके दर्जनों भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री हो रही है। सवाल उठता है जब एलडीए के पास भूखंड नहीं हैं तो आखिर यह भूखंड आ कहां से रहे हैं। जो प्रॉपर्टी डीलर इनकी फर्जी रजिस्ट्री करा रहे हैं। एलडीए के किसी अधिकारी के पास इन सवालों के जवाब नहीं है।
मूल जड़ नहीं पकड़ पा रहा विभाग
फर्जीवाड़े की जड़ें मूल रूप से प्रॉपर्टी डीलरों से ही जुड़ी हैं। प्राधिकरण इन्हें नहीं पकड़ रहा है। जिसकी वजह से अभी तक एलडीए की संपत्तियों की फर्जी रजिस्ट्री पर अंकुश नहीं लग पाया है। मौका पाते ही प्रॉपर्टी डीलर फर्जी रजिस्ट्री करा लेते हैं। पवन कुमार गंगवार, सचिव, लखनऊ विकास प्राधिकरण कहते हैं कि कुछ भूखंडों के मामले संज्ञान में आए हैं। जांच होने में अभी कुछ दिन लगेंगे। इसके बाद जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस बार और कड़ी कार्रवाई होगी। प्रॉपर्टी डीलरों पर भी एफआईआर दर्ज होगी।