उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से योगी सरकार को फटकारा है। मामले में सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील हरीश साल्वे को कहा कि कोर्ट ने कल देर रात तक स्टेटस रिपोर्ट दायर किए जाने का इंतजार किया लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि हमें अब स्टेटस रिपोर्ट मिली है। कोर्ट ने यूपी सरकार की ओर से सुनवाई को शुक्रवार तक टालने की मांग को भी खारिज कर दिया।
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में बताया कि सील बंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट शीर्ष न्यायालय को सौंप दी गई है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमने कल देर रात तक रिपोर्ट दायर किए जाने का इंतजार किया लेकिन रिपोर्ट अब सौंपी गई है। सीजेआई ने कहा, ‘इतनी देर से रिपोर्ट सौंपेंगे तो हम इसे कैसे पढ़ेंगे? कम-से-कम एक दिन पहले दायर करनी चाहिए।’ इसपर यूपी सरकार ने कोर्ट से शुक्रवार तक का समय मांगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि यूपी सरकार ने अभी तक इस मामले में और लोगों से पूछताछ क्यों नहीं की। सीजेआई ने कहा, ‘आपने अब तक 164 में से 44 गवाहों से पूछताछ की, और लोगों से क्यों नहीं।’ हालांकि, इसपर साल्वे ने जवाब दिया कि प्रक्रिया जारी है और सभी मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
बीती तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे किसानों को गाड़ी से कुचल दिया गया था, जिसमें चार किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में एक पत्रकार सहित चार अन्य लोग भी मारे गए। मामले में कुल आठ लोगों की जान गई थी। किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि जिस गाड़ी से किसानों को कुचला गया उसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा भी था। हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने इन आरोपों को गलत बताया लेकिन मामले में लगभग एक हफ्ते बाद आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मर्डर के आरोप में केस दर्ज होने के बाद भी आशीष मिश्रा को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा था कि क्या किसी आम नागरिक के साथ भी यही रवैया अपनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में सुनवाई शुरू की थी।