अफीम, हेरोइन और चरस जैसे नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ग्रैंड ट्रंक रोड और ग्रैंड कार्ड रेलवे लाइन सेफ जोन बन गया है। इस रूट से स्मगलर आसानी से दिल्ली तक नारकोटिक्स ड्रग्स पहुंचाते हैं। तस्करों द्वारा इस गैरकानूनी कारोबार में गरीब आदिवासी और महिलाओं का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है।
रोहतास में चार करोड़ की अफीम पाउडर के साथ दो तस्कर गिरफ्तार
रोहतास में 38 किलो अफीम पाउडर के साथ पुलिस ने दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। इसकी अनुमानित कीमत चार करोड़ रुपये बताई जाती है। मुफस्सिल थाने के सुअरा के समीप बस से रोहतास पुलिस को यह कामयाबी मिली है। अफीम ले जाने की सूचना पर डेहरी मुफस्सिल थाना और विशेष पुलिस टीम के अफसरों ने हाईवे सुअरा के पास आर्यन बस को रोका और जांच की। एसपी आशीष कुमार भारती ने बताया कि जिला पुलिस की एक विशेष टीम गठित कर इस अभियान को अंजाम दिया गया। छापेमारी के दौरान जोगन राम (58 वर्ष) ग्राम परसपुर, थाना मोनिका और जिला लातेहार (झारखंड) एवं दूसरा नोहरी बेबी (55 वर्ष) ग्राम बाकी, थाना पिपरा और जिला पलामू (झारखंड) को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। गिरफ्तार तस्करों के आधार पर इनके अन्य गिरोह के सदस्यों की जांच की जा रही है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो झारखंड में अफीम की खेती होती है जहां से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में इसकी तस्करी की जाती है।
औरंगाबाद में 97 किलो डोडा पाउडर जब्त, कीमत 77 लाख
इससे पहले बीते 22 सितंबर को औरंगाबाद में पुलिस ने 97 किलो डोडा पाउडर जब्त किया था जिसकी कीमत 77 लाख रुपए बताई गई। इस कार्रवाई में
पलामू के रहने वाले एक आदिवासी और 18 साल की एक युवती को गिरफ्तार किया गया था। दोनों ने स्वीकार किया था कि वे दिल्ली जाने वाली ट्रेन में
सवार होकर यह कंसाइनमेंट ले जाने वाले थे। दिल्ली में यह खेप एक तस्कर को हैंड ओवर करना था।
गया में 9 जून को 112 किलोग्राम डोडा पाउडर जब्त, कीमत लगभग 90 लाख
बीते 9 जून को भी गया में डोडा पाउडर की एक बड़ी खेप जब्त की गई थी। पुलिस ने जीटी रोड के धूबी मोड़ पर एक ऑटो रिक्शा से 112 किलोग्राम डोडा पाउडर बरामद किया था। जिसकी कीमत लगभग 90 लाख रुपये बताई गई। नशे की यह खेप बस में लादकर दिल्ली भेजने की योजना थी जिसे समय रहते पुलिस ने नाकाम कर दिया। बीते कुछ महीनों में झारखंड के गुमला और कई अन्य जिलों में अफीम की खेप पकड़ी जा चुकी है।
माओवादियों के सरंक्षण में होती है अफीम की खेती
बताया जाता है कि बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में अफीम की खेती माओवादियों की देखरेख में की जाती है। बिहार के गया औरंगाबाद जिलों के सुदूर इलाकों में इसकी खेती गैरकानूनी रूप से की जाती है। अफीम की खेती और तस्करी माओवादियों के लिए आमदनी का महत्वपूर्ण स्रोत है। इसे खत्म करने के लिए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां कई इलाकों में काम कर रही हैं। कई बार इन जिलों में अफीम की खेती को नष्ट भी किया गया है। लेकिन सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है जहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल और असुरक्षित है। सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि अफीम की खेती को तबाह करके माओवादियों को आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सकता है।
कई आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के उत्पादन में भी इन प्रतिबंधित पदार्थों का इस्तेमाल होता है। सूत्र बताते हैं कि एनसीआर, नोएडा और गुड़गांव के इलाके में
प्रतिबंधित दवाओं का खूब इस्तेमाल हो रहा है। कुछ तथाकथित हकीम सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवाओं में भी डोडा पाउडर का इस्तेमाल करते हैं।
3 से 5 हजार रुपये किलो खरीद, 70 से 80 हजार रुपये किलो बिक्री
दरअसल ओपियम के उत्पादन के लिए देश में लाइसेंसिंग प्रणाली विकसित की गई है। कुछ उत्पादक किसानों को लाइसेंस दिए गए हैं। इसके किसानों को तहत डोडा को नष्ट कर देना होता है। लेकिन सरकारी स्तर पर इसके विनष्टीकरण की प्रॉपर मॉनिटरिंग नहीं हो पाती है। इसी का लाभ स्मगलर्स उठाते हैं। रुपए का लालच देकर किसानों से डोडा खरीद लेते हैं और इसका इस्तेमाल मादक द्रव्य तैयार करने में होता है। सूत्र बताते हैं कि किसानों से तस्कर इसकी खरीद 3 से 5 हजार रुपए प्रति किलो की दर से कर लेते हैं। दिल्ली ले जाकर 70 से 80 हज़ार प्रति किलो की दर से बेचते हैं। कंसाइनमेंट को दिल्ली और आसपास के इलाकों में पहुंचाने के लिए जीटी रोड से जाने वाली बस और ग्रैंड कार्ड रेलवे रूट पर चलने वाली ट्रेन का उपयोग किया जाता है।