कोरोना काल में दुनियाभर में अवसाद और चिंता के मामलों में क्रमश: 28 और 26 फीसदी की वृद्धि हुई। युवाओं और महिलाओं में इसके मामले ज्यादा देखने को मिले हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना के प्रभाव के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। यह अध्ययन लांसेट जर्नल में प्रकाशित हुई है।
इसमें बताया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में और बुजुर्गों की अपेक्षा युवाओं में अवसाद के मामले ज्यादा बढ़े हैं। अध्ययन में बताया गया है कि जिन देशों में कोरोना संक्रमण दर और लॉकडाउन जैसी सख्ती लागू की गई थी वहां अवसाद और चिंता के मामलों में ज्यादा वृद्धि देखी गई।
यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के क्वींसलैंड सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ रिसर्च के शोधकर्ता डॉ. डेमियन सैंटोमारो ने बताया कि यह अध्ययन वर्ष 2020 में 204 देशों में किया गया था। उन्होंने कहा कि प्रमुख अवसादग्रस्त विकार और चिंता विकारों के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि से निपटने के लिए मानसिक स्वास्थ्य प्रणालियों को तत्काल मजबूत करने की आवश्यकता है।
अध्ययन में पाया गया कि महामारी ने कई मौजूदा सामाजिक असमानताओं को बढ़ा दिया है जो लोगों को मानसिक विकारों की तरफ ले जा रही है। दुनियाभर में महामारी के पहले अवसाद के मामले 19.3 करोड़ के करीब थे। जबकि अब यह संख्या बढ़कर 24.3 करोड़ (28 फीसदी ज्यादा) हो गई है। इनमें महिलाओं की संख्या 3.5 करोड़ जबकि पुरुषों की संख्या 1.8 करोड़ है।
वहीं महामारी के पहले चिंता के मामले जहां 29.8 करोड़ थे। वह अब बढ़कर 37.4 करोड़ (26 फीसदी ज्यादा) हो गए हैं। महिलाओं में चिंता के मामले करीब 5.2 करोड़ हैं जबकि पुरुषों में यह मामले 2.4 करोड़ के करीब है।