महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शुक्रवार को दशहरा रैली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर जमकर बरसे, लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और शिवसेना की विचारधारा को एक बताते हुए यह भी कहा भी कहा कि यदि बीजेपी ने वादा निभाया होता तो आज रास्ते अलग ना हुए होते। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी से 25 साल पुरानी दोस्ती टूटने की उद्धव के मन में अब तक टीस है?
उद्धव ने कहा, ”आज दो रैलियां हो रही है, हमारी और आरएसएस की। हमारे रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन विचारधारा एक ही है- हिंदुत्व। इसलिए हम बीजेपी के साथ गए। आपने (बीजेपी) ने वादे नहीं निभाए, वरना हम साथ होते। अपने पिता (बालासाहेब ठाकरे) से किए वादों को पूरा करने के लिए मैं मुख्यमंत्री बना। दूसरे शिवसैनिक भी मुख्यमंत्री बनेंगे।”
‘हिंदुत्व मतलब देश से प्यार’
उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व का मतलब समझाते हुए कहा, ”हिंदुत्व का मतलब है देश के लिए प्यार। बालासाहेब ने कहा था कि हम पहले नागरिक हैं, धर्म इसके बाद आता है। जब हम अपने धर्म को घर पर छोड़कर बाहर निकलते हैं तो देश हमारा धर्म हो जाता है। यह हमारा कर्तव्य है कि जो कोई भी धर्म के नाम पर कुछ करे तो उसके खिलाफ बोलें।” उद्धव ने आगे कहा, ”लोग कह रहे हैं कि गरबा को अनुमति नहीं दी जा रही है। यह किस प्रकार का हिदुत्व है? हिंदुत्व समाज सेवा है। हम रक्तदान करते समय धर्म या जाति के बारे में नहीं सोचते हैं। हम नहीं देखते हैं कि खून हिंदू का है या मुस्लिम या मराठी का।”
सरकार गिराने की दी चुनौती
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने गठबंधन समाप्त होने के बाद शिवसेना को भ्रष्ट करार देने को लेकर भाजपा की आलोचना की, उनकी सरकार गिराने की चुनौती दी। देगलूर उपचुनाव में भाजपा द्वारा शिवसेना के पूर्व नेता को मैदान में उतारने को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा, दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल को विधानसभा उपचुनाव तक के लिए उम्मीदवार को ‘आयात’ करना पड़ा।