दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने पिछले पांच वर्षों में एकत्रित किए गए आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में लोग हर साल एक से 15 नवंबर के बीच ‘सबसे खराब’ हवा में सांस लेते हैं। राष्ट्रीय राजधानी का औसत पीएम 2.5 स्तर 16 अक्टूबर से 15 फरवरी के बीच ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी के बीच रहता है।
वहीं एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच पीएम 2.5 सांद्रता औसतन 285 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहती है। पीएम 2.5 को 61 से 120 के बीच ‘मध्यम से खराब’, 121 से 250 के बीच ‘बेहद खराब’, 251 से 350 के बीच ‘गंभीर’ और 350 से अधिक होने पर ‘अति गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।
पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ’15 अक्टूबर से एक नवंबर के बीच प्रदूषण में व्यापक वृद्धि दर्ज की जाती है। पीएम 2.5 का औसत स्तर 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 285 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘इस दौरान वे सभी गतिविधियां काफी सक्रिय होती हैं, जिनसे प्रदूषण अधिक फैलता है। इस समय में पराली भी सबसे अधिक जलायी जाती है। पटाखे जलाने का धुआं और धूल प्रदूषण भी होता है।’
दिल्ली में 16 दिसंबर से 31 दिसंबर के बीच दूसरा सबसे अधिक प्रदूषित समय होता है। इस दौरान पीएम 2.5 सांद्रता औसतन 218 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहती है। अधिकारी ने कहा कि वायु प्रदूषण स्तर के अधिक होने का मुख्य कारण अपशिष्ट जलाना है, क्योंकि यही वह समय है, जब दिल्ली में तापमान काफी कम रहता है और त्योहार भी अधिक होते हैं।
इसके बाद तीसरी अवधि जब प्रदूषण सबसे अधिक फैलता है, वह एक जनवरी से 15 जनवरी के बीच का समय है। इस दौरान पीएम 2.5 सांद्रता औसतन 197 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहती है। अधिकारी ने कहा, ‘आंकड़ों के अनुसार सरकार प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए शीतकालीन कार्य योजना के तहत कार्रवाई करेगी।’