बीआरडी मेडिकल कॉलेज
ट्रॉमा सेंटर के ईएमओ पर बनाया था दबाव, रेजीडेंट ने मृत बता कर दिया था वापस
इएमओ ने कैजुअल्टी से ट्रॉमा वार्ड की तरफ भेजा था सिपाही के साथ मनीष के शव को
मनीष के दोस्त कर रहे थे हंगामा, ट्रॉमा सेंटर में 20 मिनट के लिए गुल हो गई थी बिजली
कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्याकांड के मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। पिटाई से मनीष की मौत के बाद पुलिस वाले उसे कागजों में जिंदा रखने के लिए बेचैन हो गए थे। यही वजह थी कि वह ट्रॉमा सेंटर में मनीष को भर्ती करना चाहते थे। उन्होंने इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ) पर दबाव बनाकर सिपाही के साथ मनीष के शव को कैजुअल्टी से ट्रॉमा सेंटर के वार्ड में भी भिजवा दिया।
हालांकि वहां तैनात जनरल सर्जरी के रेजीडेंट ने शव को भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने प्रारंभिक जांच में ही मृत करार दिया। बताया जाता है कि इस बीच मनीष के दोस्त भी ट्रॉमा के बाहर हंगामा करने लगे। विवाद बढ़ता देख ईएमओ ने मजबूरी में 20 मिनट बाद उसे मृत (ब्राट डेड) घोषित किया। इस दौरान कुछ देर के लिए ट्रॉमा सेंटर की बिजली भी गुल हो गई। उस अंधेरे में ही मनीष के शव को पुलिसकर्मियों ने ट्रॉमा सेंटर से मोर्चरी में शिफ्ट करा दिया।
सूत्रों की मानें तो उस रात ट्रॉमा सेंटर में घटनाक्रम तेजी से बदला। मनीष को खून से लथपथ हालत में लेकर दरोगा और एक सिपाही रात 2.10 बजे ट्रॉमा सेंटर पर पहुंचे। उन्होंने अज्ञात में पर्चा कटवाया। इसके बाद सबसे पहले वहां पर मुआयना इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ) डॉ. एके श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने मनीष को देखते ही मृत करार दिया। इसी बीच इंस्पेक्टर जेएन सिंह भी पहुंच गए। उन्होंने दोबारा डॉक्टर को अर्दब में लेकर नया पर्चा बनवाया। इस बार पर्चा मनीष के नाम का बना। जेएन सिंह के रुतबे और बातचीत की शैली से डॉक्टर सकपका गए। इसके बाद कोशिश शुरू हुई कागजों में मनीष को जिंदा रखने की। जेएन सिंह के दबाव में कैजुअल्टी से शव को स्ट्रेचर पर लादकर वार्ड के लिए भेजा गया।
अड़ गए थे रेजीडेंट
वार्ड में जनरल सर्जरी के रेजीडेंट की ड्यूटी थी। वहां तैनात दोनों रेजीडेंट ने दो बार जांच की। मनीष के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी। बीपी, पल्स नहीं मिल रहा था। न ही जिंदा होने की कोई अन्य सबूत थे। जिसके बाद उन्होंने फौरन मृत घोषित करते हुए, कैजुअल्टी की तरफ भेज दिया। हालांकि मौके पर मौजूद सिपाहियों ने डॉक्टरों पर भर्ती करने का दबाव बनाने की कोशिश की। उन्होंने एक बार शव में सक्शन भी लगवाया। उस समय मनीष के मुंह और नाक से खून निकलने लगा। सिपाहियों ने ही ऑक्सीजन लगवायी, फिर भी शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तब ड्यूटी पर तैनात रेजीडेंट सख्त हुए। उन्होंने सिपाहियों से शव को वापस कैजुअल्टी ले जाने के निर्देश दिए।
अंधेरे में शव को रखा मर्चरी में
बताया जाता है कि रात में 2.30 बजे के करीब ट्रॉमा सेंटर की बिजली गुल हो गई। अंधेरे में पुलिसकर्मियों ने मनीष के शव को मर्चरी में रखवा दिया। 20 मिनट बाद जब बिजली आपूर्ति बहाल हुई तब तक शव मर्चरी में रखा जा चुका था। इस मामले में एसआईटी जांच शुरू होने से बीआरडी प्रशासन के हाथपांव फूल गए है। कालेज प्रशासन के आला अधिकारी इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं। एसआईसी डॉ. राजेश राय ने कहा कि मामला संज्ञान में है। इस मामले में कुछ भी कहना नहीं चाहते। इस पर मीडिया को जानकारी प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार देंगे। प्राचार्य से इस संबंध में बात नहीं हो सकी।