पूर्व सांसद सह जन अधिक पार्टी (जाप) के संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को 32 साल पुराने अपहरण के मामले में सोमवार को मधेपुरा कोर्ट ने निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। अपहरण के इस मामले में कोर्ट के आदेश पर पूर्व सांसद को 11 मई को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था।
पूर्व सांसद की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता मनोज कुमार अंबष्ट ने बताया कि सिविल कोर्ट मधेपुरा में वर्षो से लंबित इस मामले में 24 सितंबर को अंतिम सुनवाई पूरी कर ली गई थी। कोर्ट में न्यायिक कार्रवाई के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा मामले के सूचक और पीड़ित सहित कुल सात गवाह प्रस्तुत किये जाने थे। अभियोजन पक्ष द्वारा पांच गवाह सूचक शैलेन्द्र यादव, पीड़ित राम कुमार यादव और उमा यादव सहित एक अन्य गवाह दुखन यादव को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। जबकि दो अन्य गवाह रामलखन चौधरी और उमाकांत सिंह की पहले ही मौत हो चुकी थी।
कोर्ट में प्रस्तुत गवाहों ने अपहरण की घटना से इंकार करते हुए कहा कि उक्त तिथि को ऐसी कोई घटना उनलोगों के साथ नहीं हुई है। वहीं इस केस के अनुसंधानकर्ता (अवकाशप्राप्त) रामझुलन भगत को भी कोर्ट में सदेह उपस्थित होकर अपना पक्ष रखना पड़ा।
एडीजे तृतीय सह सांसद व विधायक से सम्बन्धित मामलों के विशेष न्यायाधीश निशिकांत ठाकुर के कोर्ट ने इस मामले में अंतिम सुनवाई के बाद सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व सांसद पप्पू यादव को अपहरण के मामले में निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया। सांसद की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता मनोज कुमार अंबष्ट ने बताया कि कोर्ट ने रिहाई का आदेश संबंधित जेल अधीक्षक को भेज दिया है। चूंकि सांसद दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाजरत थे इसलिए देर रात तक न्यायिक प्रक्रिया पूरी कर उन्हें रिहा किया जाएगा।
सत्य कभी परेशान नहीं होता : पप्पू
अपहरण के 32 साल पुराने मामले में बरी होने के बाद पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कहा कि सत्य कभी परेशान नहीं होता है। जनता के आशीर्वाद और न्याय व्यवस्था से सच्चाई की जीत हुई है। उन्हें जिस मामले में पांच महीने टॉर्चर किया गया उसमें सामान्य आदमी को एक दिन भी जेल में नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश की घटना पर भी आक्रोश जताया। कहा कि आरपार की लड़ाई होगी। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था आज भी जिंदा है जिसके कारण लोकतंत्र और संविधान बचा हुआ है। लड़ने वालों का देश में कल्याण नहीं है। देश में लोकतंत्र समाप्त हो चुका है। कोई बोलने वाला नहीं है। सत्ता पक्ष और विपक्ष पूरी तरह से फेल हो चुका है। कहीं पर गाड़ी चढ़ाकर, कहीं गोली चला कर किसानों को मारा जा रहा है। कहीं कमरे में बंद कर मारने की साजिश हो रही है।
क्या था मामला
वर्ष 1989 में चुनाव के दौरान मुरलीगंज से दो लोगो का अपहरण किया गया था। इस मामले में मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव को नामजद कर मुरलीगंज थाना में अपहरण की प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस केस में मुरलीगंज निवासी सूचक सह अपहृत राम कुमार यादव और उमा यादव ने बाद में समझौता कर लिया। साथ ही पप्पू यादव को तत्काल जमानत भी मिल गयी थी। लेकिन इस केस में समय पर उचित हाजिरी पैरवी नहीं होने से पप्पू यादव की जमानत टूट गई थी। उन्हें 11 मई को पटना से गिफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें मधेपुरा सिविल कोर्ट में रिमांड के लिए पेश किया गया। 11 मई की मध्य रात्रि में कोर्ट ने पप्पू यादव को न्यायिक हिरासत में वीरपुर जेल भेज दिया था।