पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टेन अमरिंदर सिंह द्वारा उठाए गए सवालों पर पंजाब प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने सोमवार को बड़ा पलटवार किया। रावत ने कहा कि, पार्टी विधायकों का लगता था कि कैप्टेन अकालियों से मिले हुए हैं और कांग्रेस की जीत चाहते ही नहीं है। जब जब मिलने की कोशिश की कैप्टेन ने समय ही नहीं दिया। सोमवार को रावत ने पंजाब प्रकरण पर आज विस्तार से अपने मन की बात की।
रावत द्वारा सोशल मीडिया पर जारी लंबी पोस्ट का लब्बोलुआब यह है कि कैप्टेन पंजाब में पार्टी के अधिसंख्या विधायक और नेताओं का विश्वास खो चुके थे। हाईकमान ने हालात को संभालने के लिए उन्हें 18 बिंदू सौंपे थे। पर उन्होंने उन बिंदुओं पर भी कार्यवाही करने की जरूरत नहीं समझी। बकौल रावत, एक सीएम का दायित्व होता कि वो समय समय पर विधानमंडल दल की बैठक बुलाकर बातचीत करता रहे। पर पंजाब में ऐसा कितनी बार हुआ, यह किसी से छिपा नहीं है।
रावत का पलटवार
– सीएम का दायित्व है कि समय समय सयम पर विधानमंडल दल की बैठके बुलाएं, पर नहीं की गई
– गुरुग्रंथ साहब की बेअदबी के प्रसंगों, ड्रग्स, माफिया के प्रति नरमी था विधायकों की नाराजगी की वजह
– विधायकों के सवालों से बचने के लिए सीएलपी बैठक में नहीं आए और स्वयं किया इस्तीफा देने का फैसला
– पंजाब के 150 विधायक, सांसद,पूर्व पदाधिकारियों ने लगाया था कैप्टेन पर अकाली परस्त होने का आरोप
– हाईकमान ने हालात संभालने के लिए 18 बिंदू कार्यवाही के लिए दिए थे पर उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की
– कैप्टेन से जब जब मुलाकात करने का प्रयास किया गया, उन्हें हर बार अनदेखी ही की, समय देने से बचते रहे
– कैप्टेन वस्तुस्थिति को समझना ही नहीं चाहते थे, अनुशासन के नाम पर विधायकों से चुप रहने की अपेक्षा कर रहे थे
– पार्टी द्वारा अपमानित करने बात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद ही उठाई कैप्टेन ने
पार्टी हाईकमान पर उपेक्षा करने का आरोप गलत है। कांग्रेस ने अमरिंदर जी को पूरा सम्मान दिया। अब चरणजीत चन्नी जी के पंजाब का सीएम बनने का सबने स्वागत किया है। उन्हें कर्तव्य पालन में सहयोग और समर्थन देना, हम सबका नैतिक कर्तव्य है।