पिछले दिनों भारत आया अमेरिकी खुफिया एजेंसी का एक अधिकारी बीमार पड़ गया था। न्यूयॉर्क टाइम्स और सीएनएन की रिपोर्ट्स के अनुसार, लक्षण हवाना सिंड्रोम से मिलते-जुलते थे।अमेरिका में इन दिनों हवाना सिंड्रोम का खौफ छाया हुआ है। यह पहली बार 2016 में क्यूबा में पाया गया था। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने मामले की जांच तेज कर दी है और जल्द ही वे खुलासा करेंगे। केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के उप निदेशक डेविड कोहेन ने पिछले सप्ताह कहा था इसका कारण और स्रोत रहस्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, कि मुझे लगता है कि खुलासे के करीब आ गए हैं, लेकिन हम इतने करीब नहीं पहुंचे है कि इस पर कोई निर्णय लिया जा सके।
सीआईए ने वियना प्रमुख को हटाया
अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में मौजूद स्टेशन प्रमुख को हटा दिया है। दरअसल, रहस्यमय ‘हवाना सिंड्रोम’ मामलों में हो रहे इजाफे से ठीक तरह से नहीं निपटने को लेकर प्रमुख की आलोचना की जा रही थी। अमेरिकी अखबार ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि हाल ही में वियना में दूतावास के कर्मचारियों, केंद्रीय खुफिया एजेंसी के अधिकारियों और परिवार के सदस्यों को प्रभावित करने वाले दर्जनों मामलों सामने आए हैं, लेकिन अज्ञात स्टेशन प्रमुख ने संदेह व्यक्त किया और मामले में असंवेदनशीलता दिखाई।
अमेरिका को रूस पर शक
राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने इस तरह के केस की जांच तेज कर दी है। इसे प्रशासन द्वारा ‘एनामालोस हेल्थ इंसिडेंट’ (एएचआई) का नाम दिया गया है। यदि ये एक हमला है, जिसे किसी हथियार के जरिए किया जा रहा है, तो अमेरिकी अधिकारियों को शक है कि इसके पीछे रूस का हाथ हो सकता है।
कहां-कहां मिले हैं मामले
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हवाना सिंड्रोम’ के मामले धीरे-धीरे पैर पसार रहे हैं। क्यूबा के बाद चीन, जर्मन, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान और यहां तक कि वाशिंगटन डीसी में भी इसके मरीज मिले। इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रिया के विएना से भी दर्जनों मामलों कों पता चला था। भारत में ‘हवाना सिंड्रोम’ के लक्षण नजर आने का यह पहला मामला है।
कैसे पड़ा ये नाम ‘हवाना सिंड्रोम’
इस तरह के मामलों का पहला केस क्यूबा की राजधानी हवाना में सामने आया था। यही वजह है कि इस बीमारी को ‘हवाना सिंड्रोम’ के नाम से जाना जाता है।
‘हवाना सिंड्रोम’ के लक्षण-
इस बीमारी के शिकार लोगों को थकान, सिरदर्द और याददाश्त खो जाने की शिकायत रहती है। ऐसी रिपोर्टें भी आई हैं कि क्यूबा, चीन, रूस और कुछ अन्य देशों में तैनात अमेरिकी राजनयिकों और इंटेलीजेंस अधिकारियों का इस बीमारी के चलते मस्तिष्क भी क्षतिग्रस्त हो चुका है।