पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने यूनाइटेड नेशंस में ऐसा कुछ कह दिया है जिसे लेकर अब पाकिस्तान में ही उनकी किरकिरी हो रही है। उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान बॉर्डर के साथ अर्ध-स्वायत्त कबायली इलाके में रहने वाले पश्तूनों में हमेशा तालिबान के प्रति आत्मीयता और सहानुभूति रही है।
इमरान खान ने कहा है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान बॉर्डर के इलाकों में रहने वाले लोगों की अफगान तालिबान के प्रति गहरी सहानुभूति रही है। ये सहानुभूति किसी धार्मिक विचारधारा के कारण नहीं बल्कि पश्तून राष्ट्रवाद के कारण है जो कि बहुत मजबूत है। मौजूदा वक्त में पाकिस्तान में 30 लाख से अधिक अफगान पश्तून शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। उन सभी का अफगान तालिबान के साथ आत्मीयता और सहानुभूति है। वे पाकिस्तान के खिलाफ हो जाते हैं। पहली बार हमारे पास पाकिस्तान में आतंकवादी तालिबान है।
पश्तून तहफुज आंदोलन के नेता मोहसिन डावर ने मामले को लेकर इमरान खान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि इमरान खान अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गलत जानकारी साझा कर रहे हैं। मैं इस बात से हैरान हूं कि पाकिस्तान के पीएम तालिबान को पश्तून राष्ट्रवादी कैसे बता सकते हैं। तालिबान पश्तून पहचान को खत्म करने के लिए पाकिस्तान के जनरलों का एक प्रोजेक्ट है। क्या पीएम वाकई सोचते हैं कि दुनिया इतनी बेखबर है कि वह यूनाइटेड नेशंस के मंच से इस तरह के झूठ बेच सकते हैं।
इमल वली खान आवामी नेशनल पार्टी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने इमरान खान के बयान की निंदा करते हुए कहा है कि यह उनकी रेग्रेसिव मानसिकता का उदाहरण है। हमने लगातार कहा है कि यह जिहाद नहीं फसाद है। हम हमेशा चरमपंथ के विरोध में खड़े रहे हैं। हमने तालिबान के साथ बहादुरी से लड़ाई लड़ी है। पीएम के गैरजिम्मेदाराना बयान ने पश्तून राष्ट्र की भावनाओं को आहत किया है, खासकर उन लोगों की जिन्होंने चरमपंथी मानसिकता के खिलाफ लड़ाई में अपनों को खोया है।
हाल ही में इमरान खान ने कहा था कि हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में रहने वाली पश्तून जनजाति है। उनके इस बयान पर भी काफी हो हल्ला हुआ था।