प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने आम्रपाली ग्रुप के एक पूर्व निदेशक की 4.79 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। साथ ही ईडी शेल कंपनियों के माध्यम से घर खरीदारों के पैसे के डायवर्जन के लेन-देन की भी जांच कर रहा है। ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने जस्टिस यूयू ललित और अजय रस्तोगी की बेंच को बताया कि कुर्क की गई संपत्तियां प्रेम मिश्रा के अपराध की आय थीं, जो रियलिटी फर्म में निदेशक थे।
वहीं, अदालत द्वारा नियुक्त फॉरेंसिक ऑडिटर पवन कुमार अग्रवाल ने ईडी के दावों पर कहा कि प्रेम मिश्रा पर 10.26 करोड़ रुपये की राशि बकाया है और यह फॉरेंसिक ऑडिट तथा अदालत के 2019 के फैसले में दर्ज है। उन्होंने कहा कि यह फॉरेंसिक ऑडिट और कोर्ट के 2019 के फैसले में दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट ने जैन को ईडी की स्थिति रिपोर्ट और मिश्रा की संपत्तियों की कुर्की आदेश की एक प्रति फॉरेंसिक ऑडिटर को देने के लिए कहा है, ताकि वह इसका मिलान कर सकें और इस सप्ताह के अंत में एक रिपोर्ट दे सकें।
बेंच ने निर्देश दिया कि ईडी का एक संबंधित अधिकारी भी मिश्रा के मामले में अग्रवाल की मदद करेगा। वहीं, मिश्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि अगर कार्यवाही अदालत के समक्ष जानी है तो उन्हें ईडी के समक्ष पेश होने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए। जैन ने इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम संबंधी कार्यवाही जारी रहेगी क्योंकि इस संबंध में केस दर्ज हुआ है। सुनवाई बेनतीजा रही, जो 20 सितंबर को जारी रहेगी।
बिल्डर को हाईकोर्ट से जमानत मिली
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रुद्रा बिल्डर्स के प्रमोटर की 60 दिन के लिए सशर्त शॉर्ट टर्म जमानत मंजूर कर ली है। साथ ही कहा कि यह अवधि बीतने के बाद उन्हें अदालत में सरेंडर करना होगा। रुद्रा ग्रुप ऑफ कंपनीज व रुद्रा बिल्डर्स के प्रमोटर मुकेश खुराना ने 2012 में गाजियाबाद में पावो रियल प्रोजेक्ट शुरू किया। सैकड़ों लोगों से फ्लैट देने के नाम पर योजना में निवेश कराया। जिस जमीन पर बिल्डिंग बननी थी, वह गांव सभा की जमीन थी। नतीजतन न किसी को फ्लैट मिला और न ही पैसा वापस किया। लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। गौतमबुद्ध नगर के सेक्टर सात के फेज थ्री थाने में केस दर्ज हुआ और याची को जेल भेजा गया। जेल में बीमार होने पर अस्पताल में 45 दिन इलाज के बाद उसे फिर जेल भेजा गया। उसके बाद हार्ट अटैक के खतरे को लेकर याची ने सुप्रीम कोर्ट से शॉर्ट टर्म जमानत की मांग की थी।