इस वक्त वायरस का नाम सुनते ही हर किसी के जेहन में एक ही नाम आता है सार्स सीओवी-2 का। लेकिन इंन्फ्लुऐंजा ए (आईएवी) और रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस (आरएससी) जैसे श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले अन्य वायरस भी हैं जो हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारण बनते हैं। इंन्फ्लुऐंजा और सार्स सीओवी2 को छोड़कर तो इनमें से किसी भी वायरस से बचाव के लिए कोई टीका या किसी तरह का प्रभावी उपचार तक नहीं है।
ग्लासगो विश्वविद्यालय में हाल में हुआ एक अध्ययन बताता है कि जब आप पर एक से अधिक वायरस एक ही बार में हमला करते हैं तो क्या होता है और हमें इनसे बचाव के लिए क्या करना चाहिए। इस स्थिति को ‘को-इन्फेक्शन कहा जाता है।
अनुसंधान से पता चलता है कि संक्रमण के 30 फीसदी मामलों में कारण एक से अधिक वायरस हो सकते हैं। इसका मतलब यह है कि किसी बिंदु पर दो अलग-अलग वायरस आपकी नाक या फेफड़ों की कोशिकाओं को संक्रमित कर रहे हैं। एक ही कोशिका के भीतर इन अलग-अलग वायरस का मेल होने पर वायरस का नया ही स्वरूप सामने आता है और इसे ‘एंटीजेनिक शिफ्ट कहते हैं।
अध्ययन में आईएवी और आरएसवी से कोशिका को संक्रमित किया गया। अध्ययनकर्ताओं ने इसमें पाया कि मानव फेफड़ों की कुछ कोशिकाएं दोनों वायरस से संक्रमित हुईं और कोशिका से जो वायरस उभर कर सामने आया उसमें दोनों वायरस की विशेषताएं थीं। नए स्वरूपों में से कुछ की सतह पर दोनों वायरस के प्रोटीन जबकि कुछ में तो दोनों के जीन तक एक थे।
रोगाणुओं का अध्ययन टीके और उपचार के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन सबसे पहले सुरक्षा जरूरी है। यहां, यह बताना भी जरूरी है कि अध्ययनकर्ताओं ने इस अध्ययन में कोई जेनेटिक इंजीनियरिंग नहीं की बल्कि मॉडल के जरिए वह समझा जो वास्तविक दुनिया में घट रहा है और यह भी उन्होंने प्रयोगशाला में सुरक्षित माहौल में किया।