हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने गुरुवार को कहा कि सरकार पिछले महीने करनाल में किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प की निष्पक्ष जांच के लिए तैयार है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने किसानों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसान दोषी पाए गए तो उन्हें भी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
विज ने कहा कि सरकार एक आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा की विवादित टिप्पणियों और किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज समेत इस पूरे करनाल प्रकरण की जांच कराने के लिए तैयार है। मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसी को भी जांच के बिना सिर्फ इसलिए सूली पर नहीं चढ़ाया जा सकता कि कोई इसकी मांग कर रहा है। किसान लाठीचार्ज के बाद से जिला मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठे हैं।
किसान 28 अगस्त को लाठीचार्ज के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमें 10 लोग तब घायल हो गए थे जब पुलिस ने उन्हें करनाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक कार्यक्रम स्थल की ओर मार्च करने से रोकने के लिए बल का प्रयोग किया था। उनकी मुख्य मांग आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा से संबंधित है। सिन्हा को किसानों के 28 अगस्त के प्रदर्शन के दौरान एक टेप में पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि अगर प्रदर्शनकारी सुरक्षा तोड़ते हैं तो उनका सिर फोड़ देना।
विज ने अंबाला में पत्रकारों से कहा कि हम निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं, लेकिन यह केवल करनाल के पूर्व एसडीएम आयुष सिन्हा से संबंधित नहीं होगी बल्कि पूरे करनाल प्रकरण से जुड़ी होगी। इस जांच में अगर किसान या उनके नेता दोषी पाए गए तो उन पर भी उचित कार्रवाई की जाएगी।
बहरहाल, मंत्री ने कहा कि करनाल में प्रदर्शन कर रहे किसानों की केवल जायज मांगों को ही स्वीकार किया जा सकता है। हम किसी को इसलिए सूली पर नहीं चढ़ा सकते कि किसी ने ऐसा करने के लिए कहा है…क्या देश की भारतीय दंड संहिता और किसानों की आईपीसी अलग है? ऐसा नहीं हो सकता और सजा हमेशा अपराध के अनुसार दी जाती है। अपराध का पता लगाने के लिए जांच की जाती है।
संयुक्त किसान मार्चा ने पहले कहा था कि सिन्हा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। करनाल में प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में विज ने कहा कि किसी को भी शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि किसान करनाल में प्रदर्शन कर रहे हैं जो उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। हमारे अधिकारी नियमित तौर पर उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। संवाद किसी भी लोकतंत्र का आंतरिक हिस्सा है।
वहीं, हरियाणा सरकार ने करनाल जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर लगी रोक को गुरुवार आधी रात तक बढ़ा दिया है। राज्य के गृह विभाग द्वारा गुरुवार को जारी एक आदेश में कहा गया है कि करनाल जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं सुबह सात बजे से रात 12 बजे तक निलंबित रहेंगी।
करनाल में पिछले महीने पुलिस के लाठीचार्ज पर जिला अधिकारियों और प्रदर्शनरत किसानों के बीच बुधवार को एक अन्य दौर की वार्ता विफल रही। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे जिला मुख्यालय पर अपना धरना अनिश्चितकाल तक जारी रखेंगे।
इससे पहले छह सितंबर को रात साढ़े 12 बजे से सात सितंबर को रात 11 बजकर 59 मिनट तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थीं और स्थिति के अब भी संवेदनशील होने के कारण यह निलंबन बुधवार आधी रात तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
अब ताजा आदेश में कहा गया है कि स्थिति की समीक्षा की गई और इसे अब भी तनावपूर्ण माना गया है। आदेश में प्रदर्शनकारियों के अनिश्चितकाल तक धरना करने के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा गया है कि हरियाणा के एडीजीपी (सीआईडी) नौ सितंबर को मेरे संज्ञान में लेकर आए कि स्थिति की समीक्षा की गई है और हालात अब भी तनावपूर्ण हैं और कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है जिससे करनाल जिले में जन सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव अरोड़ा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि करनाल जिले में वॉयस कॉलिंग के अलावा मोबाइल नेटवर्क पर मुहैया कराए जाने वाली सभी सेवाएं निलंबित रहेंगी। इसमें कहा गया है कि मोबाइल फोन पर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म जैसे वॉट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर के जरिए गलत सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन का आदेश दिया गया।
इस बीच, धरने के तीसरे दिन प्रदर्शनकारी करनाल में लघु सचिवालय परिसर के प्रवेश द्वार पर डटे हुए हैं। किसान संघ के नेताओं ने कहा कि अधिकारियों और आम जनता को प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा।