हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने अपने ही मुख्यमंत्री मोनहर लाल खट्टर के फैसले का विरोध किया है। विज ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) कैडर के एक पद पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक अधिकारी की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से मिली मंजूरी का विरोध किया है। विज ने इसके लिए केंद्र से मंजूरी मिलने की आवश्यकता पर जोर दिया। विज के विरोध के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या हरियाणा बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है?
ऐसा पहली बार नहीं है, इससे पहले भी विज ने पुलिस अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए आईपीएस अधिकारियों की गैर पुलिस सेवा से संबंधित तैनातियों पर आपत्ति जताई थी। सूत्रों ने बताया कि मंत्री का स्पष्ट रुख है कि जब तक केंद्र का कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) इसकी मंज़ूरी नहीं देता तब तक पुलिस विभाग आईपीएस अधिकारियों को आईएएस अधिकारियों के कैडर पद पर तैनाती के लिए सेवा मुक्त नहीं कर सकता है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने दी है मंजूरी
हाल ही में परिवहन विभाग में प्रमुख सचिव का पद संभाल रहे शत्रुजीत कपूर को इस पद से सेवा मुक्त कर राज्य सतर्कता ब्यूरो का महानिदेशक बनाया गया। तब से यातायात प्रमुख सचिव का पद खाली है। सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने एक अन्य वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी का नाम प्रस्तावित किया था और मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसे मंजूरी दे दी। लेकिन विज ने एक आधिकारिक पत्र में इस बात पर जोर दिया कि सरकार को एक आईएएस कैडर पद पर आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति के लिए डीओपीटी कार्यालय से मंजूरी लेनी चाहिए।
क्या कहते हैं नियम?
अस्थायी नियुक्ति पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियमों के प्रावधान के अनुसार एक राज्य में कैडर पद को उस व्यक्ति की नियुक्ति से नहीं भरा जा सकता है जो कि कैडर अधिकारी नहीं है। ऐसा तब तक नहीं हो सकता जब तक कि उस पद के लिए कोई उपयुक्त अधिकारी ही उपलब्ध न हो।