मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। पहले यह 14 फीसदी था। अदालत में सुनवाई के बीच एमपी सरकार ने इस संबंध में फैसला ले लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने गुरुवार को राज्य के महाधिवक्ता की राय का हवाला देकर प्रवेश-शैक्षणिक परीक्षाओं और सरकारी भर्तियों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने का निर्णय लिया है। बता दें कि बुधवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण में लगी रोक हटाने से इनकार करते हुए अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किए थे।
अब विभाग कोर्ट में लंबित याचिकाओं के प्रकरणों को छोड़कर बाकी मामलों में 27 फीसदी आरक्षण दे सकते हैं। यह आरक्षण शिक्षक भर्ती 2018, पीएससी से स्वास्थ्य विभाग की भर्तियां और पीजी मेडिकल की परीक्षाओं में नहीं मिलेगा। इन पर हाईकोर्ट का स्टे है।
जीएडी के आदेश में सभी विभागों से अपेक्षा की गयी है कि वह महाधिवक्ता के इस विधिक अभिमत के अनुरूप परीक्षाओं और भर्तियों की कार्यवाही करे।
आदेश में कहा गया है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम 2019 द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग को लोक सेवाओं एवं पदों में सीधी भर्ती के प्रक्रम में आरक्षण का प्रतिशत 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया गया है, जो 08 मार्च 2019 से प्रभावशील है।
आदेश के अनुसार इस संशोधन अधिनियम में प्रावधानित आरक्षण को उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कर चुनौती दी गयी है। आरक्षण के संबंध में प्रचलित प्रकरणों के प्रकाश में महाधिवक्ता ने विधिक अभिमत जारी किया है।
अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आदेश जारी होने के बाद देर शाम मीडिया से चर्चा में कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर राज्य सरकार ने यह ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने इसके लिए चौहान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए ओबीसी वर्ग के लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
इस मामले को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं में पिछले कुछ दिनों से लगातार बयानबाजी चल रही है।