उत्तर बिहार से गुजरने वाली नदियों में बुधवार को भी उतार-चढ़ाव बना रहा। इनमें ज्यादातर नेपाल से बिहार में आनेवाली नदियां हैं। दूसरी ओर बाढ़ के कारण निचले इलकों में स्थिति गंभीर बनी हुई है। सीतामढ़ी के पुपरी स्थित निर्माणाधीन एनएच-527सी पर बाढ़ का पानी चढ़ गया है।
जानकारी के अनुसार पूर्वी चंपारण के अरेराज प्रखंड की चटिया बड़हरवा पंचायत का यादव टोला बाढ़ से घिर गया है। यहां की 400 घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। नवादा पंचायत के बनिया पट्टी टोला में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। सुगौली ब्लॉक की सात पंचायतों में बाढ़ का कहर जारी है।
नगर पंचायत के सात वार्ड बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। सुगौली थाना परिसर में दूसरे दिन भी बाढ़ का पानी जमा है। बंजरिया ब्लॉक की छह पंचायतों में बाढ़ से तबाही है। बुढ़वा नासी पुल का अप्रोच पथ ध्वस्त होने से आवागमन प्रभावित है। केसरिया ब्लॉक के चार गांवों में बाढ़ से आवागमन बंद है।
संग्रामपुर का पुछरिया गांव बाढ़ से घिरने से टापू में तब्दील हो गया है। पताही, मधुबन में भी बाढ़ की स्थिति बरकरार है। गंडक व बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में उतार चढाव जारी है। गंडक बराज वाल्मीकिनगर ने बुधवार को 2,09,500 क्यूसेक पानी छोड़ा है। पश्चिम चंपारण में बारिश थमते ही गंडक के बाद सिकरहना भी नरम पड़ने लगी है।
हालांकि वाल्मीकिनगर, बगहा, पिपरासी, ठकराहा, बैरिया, नौतन में कटाव का खतरा टला नहीं है। बैरिया के मसान ढाब में लोगों के घरों में कमर तक पानी घुस गया है। लोग सामान लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं। इधर सिकरहना का पानी अभी भी लौरिया-नरकटियागंज पथ पर अशोक स्तंभ के पास डायवर्जन पर बह रहा है।
उधर, मिथिलांचल के शहरों में भी बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बागमती नदी के जलस्तर में दरभंगा के बेनीबाद में पिछले 24 घंटों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। वह खतरे के निशान से 1.31 मी. ऊपर 49.99 पर ही स्थिर है। हायाघाट में यह खतरे के निशान से अब भी 01.46 मी. ऊपर 47.18 मीटर पर स्थिर है।
हायाघाट के छह गांवों और हनुमाननगर की दो पंचायतों में अब भी बाढ़ का पानी फैला हुआ है। वहीं, सिंहवाड़ा के भी आधा दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी फैले होने के कारण लोगों की परेशानी कायम है। घनश्यामपुर के बाढ़ग्रस्त गांवों से पानी निकलने लगा है। इससे लोग राहत महसूस कर रहे हैं।
समस्तीपुर में बूढ़ी गंडक का उफान जहां जारी है वहीं मंगलवार को स्थिर रही गंगा का जलस्तर बुधवार को एक बार फिर बढ़ने लगा। बागमती के जलस्तर में भी वृद्धि का सिलसिला जारी है। फिलहाल तीनों नदी खतरे के निशान से उपर बह रही है। गंगा और बूढ़ी गंडक से तो लोगों को अधिक परेशानी नहीं है, लेकिन बागमती से नदी किनारे रहने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गयी है।
चकमेहसी में कई जगह सड़क पर बाढ़ का पानी आ जाने से आवागमन ठप हो गया है। उधर, मोरवा में नून नदी का पानी भी लोगों की तबाही का कारण बना हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार, बुधवार सुबह बूढ़ी गंडक का जलस्तर 46.15 मी पर पहुंच गया। जो खतरे के निशान 45.73 मी से 42 सेमी अधिक है।
इसी तरह मंगलवार को स्थिर रही गंगा का जलस्तर बुधवार से फिर चढ़ने लगा। इधर, कल्याणपुर से गुजरने वाली बागमती के जलस्तर में बुधवार को 24 घंटे में 10 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई है। नदी खतरे के निशान 47.100 मीटर से 82 सेमी ऊपर बह रही है।
मधुबनी जिले में कोसी, कमला एवं भुतही बलान नदी की जलस्तर में कमी आ रही है। बरसाती नदी गेहुमां में पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। नदियों के जलस्तर में कमी आने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पानी निकलने लगा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने फिलहाल राहत की सांस ली है।
कोसी तटबंध के अंदर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आंगन से पानी तेजी से निकलने लगा है। कोसी की जलस्तर में कमी आने के बावजूद भी तटबंध के अंदर गढ़गांव, बसीपट्टी, भरगामा, बकुआ, डारह, महपतिया, द्वालख का पूर्ण पंचायत तथा करहारा, भेजा एवं रहुआ संग्राम पंचायत के पूर्वी भाग के गांवों में पानी पसरा हुआ है।
सीतामढ़ी जिले में बहने वाली अधिकांश नदियों में उफान है। जिससे करीब नौ प्रखंड के चार से पांच दर्जन गांव प्रभावित हैं। वहीं अधवारा समूह की नदियों के उफान से बॉर्डर इलाके में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है। पुपरी स्थित निर्मानाधीन एनएच 527सी पर बाढ़ का पानी चढ़ा हुआ है। वहीं एनएच 104 स्थित कुम्मा डायवर्सन पर भी दो से तीन फीट पानी का बहाव है। जिससे यातायात प्रभावित है।