बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि कोरोना प्रकोप के सदमे एवं हताशा से अभी प्रदेश उबरा भी नहीं है कि बाढ़ की समस्या के साथ-साथ डेंगू बुखार के कारण भारी संख्या में बच्चों की हो रही मौत की खबर अति-दुःखद एवं चिन्तनीय हैं, जिसके प्रति सरकार की गंभीरता जरूरी हैं। मायावती ने यूपी के लगभग 10 मण्डलों के वरिष्ठ एवं ज़िम्मेदार पदाधिकारियों के साथ अहम बैठकों का सिलसिला सोमवार को भी भी जारी रखते हुए पार्टी संगठन के सभी स्तर की कमेटियों में भी ख़ासकर पोलिंग बूथ कमेटियों को युद्ध स्तर पर तैयार करने व आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सजग रहने के निर्देश दिये।
पार्टी द्वारा जारी बयान के मुताबिक मायावती ने कहा, ”प्रदेश अभी कोरोना संक्रमण के प्रकोप से अभी उबरा भी नहीं है कि बाढ़ की समस्या के साथ-साथ डेंगू आदि बुखार से भारी संख्या में बच्चों की हो रही मौतों की खबर अति-दुःखद व अति-चिन्तनीय है, जिसके प्रति सरकार को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, वरना फिर हालात के बेकाबू होने से पूरे राज्य में लोग और भी ज्यादा परेशान होंगे ।
उन्होंने पार्टी के लोगों को निर्देश दिया कि वे लोग अपनी हैसियत के हिसाब से मुसीबतजदा लोगों की यथासंभव मदद उसी प्रकार से करते रहें जिस प्रकार से उन्होंने खासकर कोरोना प्रकोप के दौरान लोगों को सहायता प्रदान की है। पश्चिमी उप्र में हो रही कथित हत्याओं पर गंभीर चिन्ता जताते हुए मायावती ने कहा कि इससे पहले हालात और ज्यादा खराब हों सरकार को अपना रुतबा और इकबाल कायम करके कानून के राज की बहाली का सघन प्रयास करना चाहिए तथा वास्तविक अपराधियों एवं दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई राजनीतिक भेदभाव के तहत कत्तई नहीं होनी चाहिए।
रसोई गैस की कीमत में की गई एक और ‘भारी वृद्धि को अनुचित व गरीब-विरोधी कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि खासकर पेट्रोल व डीजल आदि की कीमत में बेतहाशा वृद्धि ने ग़रीबों व मेहनतकश लोगों की कमर ही तोड़ रखी है। सरकार को उनकी हालात का सही अंदाजा करके ही इस प्रकार का कोई कदम उठाना चाहिए।
बसपा प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के गलत कारनामों की वजह से ही भाजपा देश व उप्र की सत्ता में आ गई है लेकिन अब वह संवैधानिक दायित्व व राजधर्म निभाने के बजाय राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के संकीर्ण एजेण्डे को देश के लोगों पर जबरदस्ती थोपने में लगी है । इस क्रम में अपनी गलत नीतियों व कार्यकलापों से देष में बढ़ती गरीबी, हर प्रकार की महंगाई, अति बेरोजगारी, व्यर्थ के तनाव व हिंसा आदि व्याप्त है, जिससे उप्र की जनता त्रस्त व बदहाल है।