तालिबानी आंतकी समूह के सदस्य पत्रकार और वुमन राइट एक्टिविस्ट सायरा सलीम की तलाश कर रहे हैं। सायरा सलीम जो कि तालिबान उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई थी। सलीम ने बताया कि चार दिन पहले रात में तालिबान के छह सदस्य उसके घर आए थे और दरवाजा खटखटाया था। सलीम ने कहा कि तालिबानी लड़ाकों को देखने के बाद वह अपने बिस्तर के नीचे छिप गई थीं। जिसके बाद लड़ाकों ने उनके पिता से उसके ठिकाने के बारे में पूछताछ की। पिता ने लड़ाकों को बताया कि उनकी बेटी घर पर नहीं है।
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक लड़ाके अपनी कार में तालिबान के झंडे के साथ घर के सामने पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद पूछा किया मुझे अपनी जान गंवाने का डर है। सलीम ने कहा, तालिबान लड़ाकों ने उनके पिता से कहा कि वापस आने पर हमें उसे देखना चाहिए।
दो हफ्ते से घर से बाहर नहीं निकली
सलीम ने कहा कि मुझे डर है कि अगर मैं घर से बाहर भी निकलती हूं तो तालिबान मुझे पहचान लेगा। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा जमाने के बाद से सलीम घर से बाहर नहीं निकली हैं। सलीम के साथ-साथ विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवादी समूह के शासन में अफगान महिलाओं को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ सकता है।
विश्लेषक बोले- महिलाएं तालिबान से डरी हुई हैं
इससे पहले, एक सुरक्षा और आतंकवाद विश्लेषक सज्जन गोहेल ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि महिलाएं तालिबान से डरी हुई हैं। उन्होंने कहा कि मैंने जिन अफगान महिलाओं से बात की है, यह अविश्वसनीय रूप से बहुत दर्दनाक है। वो पीढ़ी जो तालिबान को सिर्फ किताबों में पढ़ती है। अब उन्हें एक महिला विरोधी पंथ के आस-पास रहना पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि उनका मानना है कि हमने 1990 के दशक में जो कुछ देखा था, उसकी कुछ हद तक वापसी देखने जा रहे हैं।