दिल्ली हाईकोर्ट ने अप्रैल में जयपुर गोल्डन अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के 21 मरीजों की मौत के मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने के अनुरोध वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को छह सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया। अदालत दिल्ली के अस्पताल में 23 और 24 अप्रैल की मध्यरात्रि को जान गंवाने वाले कुछ मरीजों के परिवारों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को सरकार के जवाब पर प्रत्युत्तर दाखिल करने की अनुमति दी।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने मामले को 9 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि तब तक चीजें साफ हो जाएंगी। हम देखेंगे। आपने मजिस्ट्रेटी अदालत का भी रुख किया है। दिल्ली सरकार और केंद्र की ओर से पेश क्रमश: वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा और स्थायी वकील किरीटमान सिंह ने याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति मांगी। मेहरा ने कहा कि आपराधिक जांच का पहलू मजिस्ट्रेटी अदालत में विचाराधीन है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता उत्सव बैंस ने कहा कि हाईकोर्ट और मजिस्ट्रेटी अदालत के समक्ष अलग-अलग पीड़ित परिवार हैं। सिंह ने कहा कि मुआवजा देने के मुद्दे पर हाईकोर्ट भी विचार कर रहा है। न्यायाधीश ने कहा कि अपना जवाब दाखिल करें। कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।
अदालत ने चार जून को केंद्र और दिल्ली सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया था जिसमें दलील दी गई थी कि ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण सांस लेने में दिक्कतों के कारण मरीजों की मौत हुई, न कि पहले से गंभीर रोगों से ग्रस्त रहने के कारण, जैसा कि दिल्ली सरकार की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि समिति ने एक गलत रिपोर्ट दी है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी के कारण मरीजों का दम नहीं घुटा। याचिका में समिति की रिपोर्ट रद्द करने और मौतों की सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि सच्चाई सामने आ सके और मृत लोगों और उनके परिवारों को न्याय मिल सके तथा उन्हें नुकसान की भरपाई की जा सके।