दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को अदालत से कहा है कि यह पुष्ट करने के लिए अब तक कोई सबूत एकत्र नहीं किया जा सका है कि दिल्ली कैंट इलाके में नौ वर्षीय बच्ची की कथित तौर पर हत्या किए जाने से पहले दुष्कर्म किया गया था या नहीं। मामले के जांच अधिकारी ने पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आशुतोष कुमार की अदालत में यह जानकारी दी।
जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि चारों आरोपियों के बयानों से पता चला है कि श्मशान घाट के 55 वर्षीय पुजारी राधेश्याम और उसके कर्मचारी कुलदीप सिंह ने पीड़िता साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी। वहीं, अन्य आरोपियों सलीम अहमद और लक्ष्मी नारायण (दोनों श्मशान में कर्मचारी) ने बच्ची के शव का अंतिम संस्कार करने में उनकी मदद की थी।
अदालत ने 12 अगस्त को पारित आदेश में कहा, ‘जांच अधिकारी ने स्वीकार किया है कि न तो किसी चश्मदीद गवाह का कोई बयान, और न ही कोई अन्य सबूत, जिसमें चिकित्सा या वैज्ञानिक शामिल हैं, यह पुष्टि करने के लिए एकत्र किया जा सका है कि पीड़ित बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था या नहीं। उन्होंने कहा है कि इस स्तर पर, वह निर्णायक रूप से यह नहीं कह सकते कि पीड़ित बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ था या नहीं। पुलिस के समक्ष आरोपी व्यक्तियों के खुलासे वाले बयान, जब तक कि अन्य सबूतों द्वारा समर्थित न हों, कानून के तहत स्वीकार्य नहीं होते।’
इस बीच, अदालत ने बच्ची की मां को ढाई लाख रुपये बच्ची की मौत के लिए अंतरिम राहत के रूप में प्रदान किए। अदालत ने हालांकि पीड़िता के कथित बलात्कार के अतिरिक्त आधार पर इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए और अंतरिम राहत नहीं दी कि जांच एजेंसी खुद इसको लेकर आश्वस्त नहीं है कि पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ था या नहीं।
अदालत ने संबंधित पक्षों को बलात्कार को लेकर मुआवजे के संबंध में एक नया आवेदन पेश करने की स्वतंत्रता दी, यदि जांच एजेंसी आगे और सामग्री एकत्र करती है या इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि पीड़ित बच्ची के साथ बलात्कार किया गया था। एक सरकारी योजना के अनुसार, मृत्यु के मामले में अधिकतम मुआवजा 10 लाख रुपये है। अदालत ने मुआवजे की राशि का 25 फीसदी अंतरिम राहत के तौर पर मंजूर किया।
इस बीच, अदालत ने चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ये सभी बच्ची की मां से परिचित थे। प्राथमिकी के अनुसार, बच्ची के साथ बलात्कार किया गया, उसकी हत्या कर दी गई और फिर उसके माता-पिता की सहमति के बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मामले को हाल ही में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा सौंपा गया था।
दिल्ली पुलिस ने बच्ची की मां के बयान के आधार पर चारों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है जिन्होंने आरोप लगाया था कि 1 अगस्त को उनकी बेटी के साथ बलात्कार किया गया, उसकी हत्या की गई और परिवार की सहमति के बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। आरोपियों के खिलाफ हत्या, बलात्कार व आपराधिक धमकी के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।