गाजियाबाद के डासना स्थित देवी मंदिर (Dasna Temple) में साधु पर जानलेवा हमले के आरोपियों का छह दिन बीत जाने के बाद भी कोई सुराग नहीं लग सका है। पुलिस को अब तक यह जानकारी भी नहीं मिल पाई है कि हमलावर बाहर से आए थे या अंदर ही छिपकर बैठे थे।
जानकारी के अनुसार, बीते सोमवार 9 अगस्त की देर रात डासना मंदिर में एक संत पर अज्ञात हमलावरों द्वारा चाकू से हमला किए जाने का मामला सामने आया था। हमले में गंभीर रूप से घायल हुए बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले संत नरेशानंद सरस्वती (58) का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। संत नरेशानंद बीते दिनों डासना देवी मंदिर में रुके हुए थे, तभी सोमवार 9 अगस्त की रात लगभग 3:30 बजे किसी ने उन पर चाकू से कई वार कर दिए थे। वारदात को अंजाम देने के बाद से हमलावर फरार हो गया था। वहीं, जिस समय यह हमला हुआ उस समय मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती भी पास के कमरे में सो रहे थे।
वहीं, मंदिर में रह रहे लोगों से अलग-अलग हुई पूछताछ के दौरान कई तथ्य विरोधाभाषी पाए गए हैं। कभी कहा जा रहा है कि हमलावर परिसर की दीवार कूद कर आया और वारदात को अंजाम देकर चला गया। वहीं कुछ लोगों ने हमलावर के पहले से ही परिसर में मौजूद होने की बात कही है। चूंकि मंदिर में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे खराब हैं, इसलिए इन तथ्यों की अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है।
पुलिस उपमहानिरीक्षक अमित पाठक के मुताबिक, हमलावर की गिरफ्तारी होने तक इस मामले में कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। उधर, क्षेत्राधिकारी (सीओ) सदर के.एन. पांडेय ने बताया कि इसका खुलासा जल्द होगा।
गौरतलब है कि दो महीने पहले दो युवक संदिग्ध परिस्थिति में मंदिर के अंदर से पकड़े गए थे। पुलिस के साथ एटीएस ने मामले की जांच की थी। इस जांच में धर्मांतरण मामले का खुलासा हुआ था। इसके बाद मामले में एनआईए भी शामिल हो गई। अब एक बार फिर ताजा घटनाक्रम को देखते हुए टीमों ने अपने स्तर पर मामले की जांच शुरू की है।
बता दें कि डासना का यह देवी मंदिर और इसके महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती अपनी बेबाक बयानबाजी की वजह से अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। वहीं, कड़ी सुरक्षा के बीच संत पर हुए हमले की घटना ने मंदिर की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। यह मंदिर इसी साल मार्च में उस वक्त चर्चा में आ गया था, जब यहां दूसरे समुदाय के एक नाबालिग बच्चे की पिटाई कर दी गई थी।