मॉनसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में जमकर हंगामा बरपा और एक बार फिर उच्च सदन की गरिमा को नुकसान पहुंचाया गया। बुधवार को उच्च सदन में सुरक्षाकर्मियों की अभूतपूर्व तैनाती देखने को मिली ताकि विपक्षी सदस्यों के मेज पर चढ़ने जैसी घटना दोबारा ना हो, लेकिन इसके बावजूद सदन में विपक्षी सदस्यों ने आसन के सामने आकर नारेबाजी की और कागज फाड़कर उछाले। कुछ सदस्य आसन की ओर बढ़ने का प्रयास करते हुए सुरक्षाकर्मियों से उलझ गए।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा है विपक्ष के सांसदों ने चेयरमैन के पैनल, टेबल स्टाफ और सेक्रेटरी जनरल पर हमले का प्रयास किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महिला सुरक्षाकर्मी का गला घोंटने का प्रयास किया गया। गोयल ने पूरे मामले की जांच के लिए विशेष कमिटी के गठन और सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, राज्यसभा से बाहर आने के बाद शरद पवार ने कहा कि बाहर से लोगों को लाकर महिला सांसदों को पीटा गया है।
पीयूष गोयल ने कहा, ”विपक्ष की पूरी मंशा आज दिखी है, जिस तरह पैनल चेयरमैन, टेबल स्टाफ और सेक्रेटरी जनरल पर हमले का प्रयास किया गया। एक निंदनीय घटना में एक महिला सुरक्षकर्मी का गला घोंटने का प्रयास किया गया। विपक्षी सदस्यों ने मुझे और संसदीय कार्यमंत्री को चैंबर से बाहर निकलने से रोकने का प्रयास किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। सदन और देश की ओर से इस तरह के व्यवहार को कभी सहन नहीं किया जाना चाहिए।”
सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले गोयल ने पूरे सत्र के दौरान विपक्षी दलों द्वारा किए गए हंगामे और इस दौरान कागज फाड़कर आसन की ओर फेंकने सहित अन्य विभिन्न घटनाओं का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दल सत्र की शुरुआत से ही संसद ना चलने देने की ठानकर आए थे। उन्होंने कहा कि आज पीठासीन अध्यक्ष, महासचिव पर हमला करने की कोशिश की गई और सबसे ”निदंनीय यह हुआ कि एक महिला सुरक्षाकर्मी की गला घोंटने की कोशिश की गई।”
उन्होंने कहा, ”बड़े दुर्भाग्य की बात है। ऐसा व्यवहार देश को बर्दाश्त नहीं है। आप वारदात की गहराई में जाएं। जो भी रिकार्ड हैं, उसके हिसाब से पूरी वारदातों की छानबीन करें। हम इन घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं इनकी जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की जाए। उन्होंने आग्रह किया कि पूरी छानबीन के बाद दोषी सदस्यों के खिलाफ ”कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।”
सदन में राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की पहचान करने और सूची बनाने का अधिकार प्रदान करने वाले संविधान (127वां संशोधन) विधेयक पर करीब छह घंटे तक चर्चा के बाद उसे पारित किया गया। इसके बाद जैसे ही बीमा संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए लिया गया, विपक्षी सदस्यों का हंगामा शुरू हो गया। इस विधेयक में सरकार द्वारा संचालित साधारण बीमा कंपनियों के निजीकरण का प्रावधान है।
इसे बीमा कंपनियों को बेचना करार देते हुए विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष आकर सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। बहरहाल, इन सदस्यों को करीब 50 सुरक्षाकर्मियों द्वारा बनाये गए घेरे ने अधिकारियों की मेज और आसन तक जाने से रोक दिया। इन सुरक्षाकर्मियों की तैनाती इस तरह से की गई थी जिसमें विरोध कर रही महिला सांसदों के सामने ॉपुरूष सुरक्षा कर्मी और पुरूष सांसदों के सामने महिला सुरक्षाकर्मी खड़े थे।
विरोध कर रहे कांग्रेस, वाम, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक आदि विपक्षी दलों के सदस्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उन्होंने विरोध करने के दौरान कागज फाड़े तथा अधिकारियों की मेज और आसन की ओर बढ़ने का प्रयास भी किया। कुछ सदस्यों ने सुरक्षाकर्मियों का घेरा तोड़ने का प्रयास किया और उनके साथ उलझ गए। इई हंगामे के बीच उच्च सदन ने बीमा विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक पर हुयी संक्षिप्त चर्चा का जवाब नहीं दिया।
विपक्ष ने भी लगाया हमले का आरोप
एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा, ”55 साल के अपने संसदीय जीवन में मैंने कभी ऐसा नहीं देखा था जिस तरह महिला सांसदों पर आज (राज्यसभा में) हमला किया गया। 40 से अधिक पुरुष और महिलाओं को सदन में बाहर से लाया गया था। यह दर्दनाक है। यह लोकतंत्र पर हमला है।” राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को आरोप लगाया कि सदन में विरोध प्रदर्शन के दौरान वहां मौजूद कुछ महिला सुरक्षाकर्मियों ने विपक्ष की महिला सदस्यों के साथ धक्कामुक्की की और उनका अपमान किया। हालांकि सरकार ने उनके आरोप को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ”सत्य से परे” है। खड़गे ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि विपक्ष के सदस्य जब विरोध प्रदर्शन के लिए आसन के निकट जाते हैं तो पुरुष और महिला सुरक्षाकर्मी का एक घेरा बना दिया जाता है।
उन्होंने कहा, ”हमारी महिला सदस्य आ रही हैं… घेरा बना लिया जा रहा है… धक्कामुक्की की जा रही है…महिला सदस्यों का अपमान हो रहा है… महिला सांसद सुरक्षित नहीं हैं… यह संसद और लोकतंत्र का अपमान है।” इसके बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने खड़गे के आरोपों का प्रतिकार करते हुए कहा कि यह ”सत्य से परे” हैं। उन्होंने पलटकर आरोप लगाया कि विपक्षी सदस्यों ने महिला सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्कामुक्की की है।