मकड़ी का जहर शिकार के तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क के बीच का संपर्क तोड़ देता है। इसी जहर से अब वैज्ञानिक दिल के दौरे के पीडितों के लिए एक जीवन रक्षक दवा बनाने जा रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक शोधकर्ताओं ने एक फनल-वेब मकड़ी से जहर की खोज की, जो दिल के दौरे से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह अध्ययन क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ग्लेन किंग के नेतृत्व में वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। मकड़ी के जहर का इस्तेमाल करने वाले वैज्ञानिकों ने एक ऐसे अणु की खोज की, जो दिल के स्ट्रोक का शिकार होने पर मस्तिष्क की क्षति को रोक सकता है। इसके बाद शोधकर्ताओं ने इस अणु पर गहरा अध्ययन कर दवा को विकसित करने में सफलता प्राप्त की। यह शोध सर्कुलेशन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
ऑक्सीजन की कमी हो जाती: क्वींसलैंड विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एक बयान में डॉ पालपंत ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से कोशिका का वातावरण अम्लीय हो जाता है, जो हृदय कोशिकाओं को मारने का काम करती है। लेकिन शोध के इस जहर से बनाई गई दवा कोशिका की मौत को रोकने का काम करती है।
सिडनी में सबसे ज्यादा मकड़ियां: बताया जा रहा है कि ये जहरीली मकड़ियां सबसे ज्यादा सिडनी में हैं। न्यू साउथ वेल्स और दूसरे ऑस्ट्रेलियाई शहरों में भी इनका प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इससे ऑस्ट्रेलिया का स्वास्थ्य विभाग काफी चिंता में है। चिकित्सा वैज्ञानिक इस कोशिश में लगे हैं कि इस मकड़ी के जहर को निष्प्रभावी बनाने की दवा जितनी जल्दी हो, बनाई जाए। वैसे, पहले इन मकड़ियों के जहर से एंटी-वेनम दवाइयां बनाई जाती थीं। ये दवाइयां कई तरह के जहर की काट कर देती थीं।
जहर में कई तरह के प्रोटीन होते हैं
मकड़ी के जहर में कई तरह के प्रोटीन होते हैं। जिसे एचआई1ए कहा जाता है। इसमें कुछ ऐसे प्रोटीन भी हैं जो इंसानी दिमाग को दर्द का अनुभव नहीं होने देते। रिसर्च टीम के प्रमुख ग्लेन किंग के मुताबिक जहर में सात ऐसे तत्व मिले हैं जो दर्द का आभास कराने वाले संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकते हैं।
मकड़ी इस जहर का इस्तेमाल शिकार को मारने के लिए करती है। जहर शिकार की तंत्रिकाओं और दिमाग के बीच के संपर्क को तोड़ देता है। शोधकर्ता दवा का अगले दो से तीन वर्षों के भीतर स्ट्रोक और हृदय रोग दोनों के लिए मानव नैदानिक परीक्षणों का लक्ष्य बना रहा था।