पाकिस्तान से मिल रहे हथियार, रसद और मेडिकल सप्लाई के बाद तालिबान लगातार हमले तेज कर रहा है। कई प्रांतीय राजधानियों पर कब्ज़ा कर चुका है और कंधार की लड़ाई जारी है। तालिबान उत्तरी अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर अफगानिस्तान और ईरान के बीच ट्रेड लाइन को काटने की तैयारी में है।
काबुल के एक डिप्लोमैट बताते हैं कि तालिबान के क्वेटा और मीरमशाह में हाई काउंसिल है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण काउंसिल रावलपिंडी में है। डिप्लोमैट का यह कमेंट बताता है कि तालिबान के पीछे पाकिस्तानी सेना और आईएसआई काम कर रही है। एक पूर्व भारतीय विदेश सचिव ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, ‘तालिबान के काबुल पर सैन्य कब्जा से पाकिस्तान को सिर्फ रणनीतिक स्थान नहीं मिलेगा, बल्कि अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए प्रशिक्षित आतंकी कैडर भी मिलेगा।’
दो दिन में पांच राजधानियों पर तालिबान का कब्ज़ा
तालिबान और अफगान सेना के बीच कई जिलों में लड़ाई जारी है। तालिबान ने दो दिनों में पांच प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। अधिकारियों ने बताया है कि हेरात, कंधार और बदख्शां जैसे प्रांतो में लड़ाई जारी है। 11 दिनों में 36 लोगों की मौत हो चुकी है और 220 लोग घायल हो चुके हैं। घायलों में आधे से अधिक आम लोग हैं। अफगान सेना ने फैजाबाद में स्पेशल कमांडो फ़ोर्स के एक नए बैच को तैनात किया है।
अफगानिस्तान रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि 8 अगस्त को पूरे अफगानिस्तान में सेना के अभियान में 579 तालिबान आतंकी मारे गए हैं और 161 अन्य घायल हो गए।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी तालिबान समस्या समाधान को लेकर लगातार बैठक कर रहे हैं। 8 अगस्त को उन्होंने देश के प्रमुख राजनीतिक और धार्मिक नेताओं से बातचीत की है। उन्होंने अफगान सुरक्षा बलों के लिए समर्थन का आग्रह किया। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन और अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन से मुलाकात कर अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की है।
60 फीसद कस्टम रेवेन्यू पर तालिबान का कब्ज़ा
अफगानिस्तान लोकसभा सदस्यों का दावा है कि बॉर्डर क्रॉसिंग पोस्ट पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान कस्टम रेवेन्यू का 60 फीसद से अधिक अब तालिबान के पास जा रहा है। यह राशि हर दिन करीब 19 करोड़ रुपये है। सांसद अब्दुल सतार हुसैनी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तालिबान जबरन सरकारी पैसा छीन रहा और उसे पाकिस्तान को देता है और खुद के लिए समर्थन मांगता है।
काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास ने तालिबान द्वारा किए जा रहे हमलों की निंदा की है। कहा है कि हिंसा से तालिबान को अंतरराष्ट्रीय वैधता नहीं मिलने वाली है, जिसकी वे तलाश कर रहे हैं। अमेरिका ने कहा है कि तालिबान, दोहा समझौते को नहीं मान रहा।