पाकिस्तान ने एक बार फिर इस बात से इंकार किया है कि अफगानिस्तान के राजदूत की बेटी इस्लामाबाद में अपहरण हुआ था। उसने कहा है कि इस घटना का कोई भी सुबूत नहीं मिला है। गौरतलब है कि 16 जुलाई को पाकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत नजीबुल्ला अलिखिल की 26 वर्षीय बेटी सिलसिला अलिखिल का कुछ अज्ञात लोगों ने इस्लामाबाद में अपहरण कर लिया था। इसके बाद उनके साथ मारपीट भी की गई थी। घटना के चलते दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था। घटना के दो दिन बाद अफगानिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद से सभी राजदूतों और उनके परिवार को वापस बुला लिया था। साथ ही सुरक्षा संबंधी चिंता जाहिर करते हुए पाकिस्तान स्थित दूतावास को बंद कर दिया था।
जांच के लिए गया है डेलीगेशन
बता दें कि अफगान राजदूत की बेटी के अपहरण और अफगान अधिकारियों की इस्लामाबाद में सुरक्षा मामले की जांच करने अफगानिस्तान से एक विशेष दल गया था। पाकिस्तान ने इस दल से बताया है कि जांच में जुटाए गए तथ्य अफगान राजदूत की बेटी द्वारा बताई गई घटना से मेल नहीं खाते। अफगान डेलीगेशन ने पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की थी। इस डेलीगेशन को पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा की गई जांच के सभी पक्षों से रूबरू कराया गया। पाकिस्तान विदेश विभाग ने एक वक्तव्य में बताया कि इस दौरान उन्हें तमाम वीडियो भी दिखाए गए जिसमें अफगान राजदूत की बेटी स्वतंत्र रूप से घूमती-फिरती नजर आ रही है। इसके अलावा अफगान डेलीगेशन को उन सभी जगहों पर ले जाया गया जहां अफगान राजदूत की बेटी गई थी। साथ ही उनसे मोबाइल डाटा भी शेयर किया गया।
दावा, विस्तार से की गई है जांच
विदेश विभाग के मुताबिक डेलीगेशन को बताया गया कि पाकिस्तानी कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने मामले की विस्तार से जांच की है। इस जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वो शिकायतकर्ता की रिपोर्ट से मेल नहीं खाते। वहीं इस डेलीगेशन को इस्लामाबाद स्थित अफगान एंबेसी में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था से भी वाकिफ कराया गया। यह मामला उस वक्त सामने आया है जब दोनों देशों के रिश्ते बहुत सामान्य नहीं है। हाल ही में अफगानिस्तान से पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह लश्कर और तहरीक-ए-तालिबान के लड़ाकों को रोक नहीं रहा है। उसका कहना है कि यह लड़ाके अफगानिस्तान में चल रही लड़ाई में तालिबान का साथ दे रहे हैं। वहीं अफगान नेताओं ने पाकिस्तान पर यह भी आरोप लगाया है कि उसने तालिबान के ऊपर राजनीतिक समझौते के लिए पर्याप्त दबाव नहीं बनाया।