सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारत में पहले से ही कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर हिचक की समस्या है, ऐसे में इसके प्रभावकारिता को लेकर अदालत की ओर से कोई संदेश नहीं आना चाहिए। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के पूर्व सदस्य जैकब पुलियल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोविड -19 टीकों के क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़ों का खुलासा करने की मांग की गई थी। याचिका में लोगों पर कोविड-19 वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभावों के आंकड़ों को सार्वजनिक करने का निर्देश देने की भी मांग की गई, जिसमें कहा गया था कि सरकार टीका लेने के लिए लोगों को मजबूर कर रही है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य टीकाकरण पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन उसने केंद्र, स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और वैक्सीन निर्माताओं को कोरोना वायरस टीके के ट्रायल डेटा के खुलासे के संबंध में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा, देश में 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी गई है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा ये सवाल?
आप क्या चाहते हैं कि टीकाकरण कार्यक्रम को बंद किया जाए? देश में वैक्सीन को लेकर पहले से ही हिचकिचाहट चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम वैक्सीन को लेकर हिचक के खिलाफ लड़ रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता कि इस तरह की याचिकाओं से लोगों के मन में संदेह पैदा होगा? न्यायमूर्ति नागेश्वर राव ने कहा कि पीठ को आशंका थी कि एक बार याचिका पर विचार करने के बाद, इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि अदालत वैक्सीन के खिलाफ हिचक को बढ़ावा दे रही है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते
कोर्ट ने कहा कि आप इस तरह सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते। हमने 100 साल में ऐसी महामारी नहीं देखी, इसलिए आपात स्थिति में वैक्सीन को संतुलित करना जरूरी है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह न तो वैक्सीन विरोधी याचिका है और न ही याचिकाकर्ता देश में कोविड के टीकाकरण को रोकने की मांग कर रहा है। प्रशांत भूषण ने कहा कि टीके के परीक्षण में पारदर्शिता की जरूरत है और आंकड़ों के खुलासे से सभी संदेह दूर हो जाएंगे।
सुविधा से वंचित नहीं करने की मांग
हाल ही में एक सीरो-सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए, प्रशांत भूषण ने कहा कि कम से कम दो-तिहाई लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं, जो उनके एंटीबॉडी को कोविड के टीके से अधिक प्रभावी बनाता है। प्रशांत भूषण ने कहा कि जिन लोगों को टीके नहीं मिले हैं, उन पर यात्रा सहित कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, चूंकि वैक्सीन स्वैच्छिक है, इसलिए अगर किसी को वैक्सीन नहीं मिलती है तो व्यक्ति को किसी भी सुविधा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।