राजधानी पटना में शनिवार की सुबह कंकड़बाग और कदमकुआं इलाके में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्र-छात्रा की आत्महत्या की घटना सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। दोनों की उम्र 20 से कम है। अब तक पुलिसिया जांच में यह बात सामने आयी है कि छात्र और छात्रा ने डिप्रेशन में फांसी लगा आत्महत्या की।
इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले इंटर पास छात्र उज्ज्वल सिंह (18 वर्ष) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह मूल रूप से रोहतास जिले के दिनारा थाना इलाके के बीसीकला का रहने वाला था। कंकड़बाग थाना इलाके के अशोक नगर रोड नंबर पांच में छात्र अपने पिता कमलेश सिंह के साथ रहता था। सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले कमलेश की ड्यूटी आर्यभट्ट लॉ यूनिवर्सिटी में लगी है।
शनिवार की सुबह छह बजे वे ड्यूटी खत्म कर घर आये और साइकिल लगाने के बाद पार्क में टहलने निकल गये। वापस लौटने पर घर का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से कोई आवाज नहीं आयी। फिर दरवाजा तोड़ा गया। भीतर छात्र एक गमछे से लटका दिखा। कंकड़बाग पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करा उसे परिजनों के हवाले किया। कोई सुसाइड नोट पुलिस को नहीं मिला है। पिता के मुताबिक उज्ज्वल डिप्रेशन में रहता था। उसकी मां की मौत हो गई है।
वहीं मेडिकल की तैयारी करने वाली छात्रा स्निग्धा स्वरा (19) ने फांसी लगाकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। घटना कदमकुआं थानांतर्गत धरहरा कोठी, नया टोला स्थित राधिका हॉस्टल में शनिवार की सुबह हुई। स्निग्धा गया जिले के मोहनपुर की रहने थी। उसका भाई पप्पू पीएमसीएच से पीजी कर रहा है। प्रथम दृष्टया डिप्रेशन में आकर छात्रा के सुसाइड करने की बात सामने आयी है।
अभिभावक खुद से ही बच्चों की काउंसलिंग करें
क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट डॉक्टर बिंदा सिंह ने बताया कि बच्चे पढ़ाई और अन्य कारणों को लेकर खुद पर प्रेशर ले लेते हैं। कई बार अभिभावकों का भी प्रेशर रहता है। टीन-एजर्स कॅरियर को लेकर सशंकित रहते हैं कि अगर किसी परीक्षा में वे सफल नहीं हुए तो कहां जायेंगे। लिहाजा बच्चों पर अधिक दबाव न डालें। बच्चों को भी यह समझना चाहिये कि जिंदगी में काफी परेशानियां आती हैं, जिनमें घबराने की जरूरत नहीं है। अभिभावकों को हमेशा खुद से ही बच्चों की काउंसलिंग करनी चाहिये। डिप्रेशन एक दिन में नहीं होता है, लिहाजा अगर ऐसे वक्त उन्हें कोई सपोर्ट करे तो इस चीज से वे निकल सकते हैं।