ग्वालियर-चंबल में अब रेस्क्यू टीम का पूरा फोकस मुरैना और भिंड पर है। चंबल नदी का जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन अब भी खतरे के निशान के ऊपर है। दोनों जिलों में अलर्ट घोषित किया गया है। हेलिकॉप्टर और बोटों के जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। सिंध, पार्वती, नोन व कूनो में पानी उतर गया है। इससे ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी और श्योपुर में रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया गया है, लेकिन यहां अब यहां जिंदगी को पटरी पर लाने की चुनौती है। यहां सब कुछ तबाह हो चुका है। बाढ़ और मकान गिरने से 18 लोगों की मौत हो चुकी है।
अब क्वारी नदी से खतरा, चंबल स्थिर
भिंड-मुरैना जिले में सिंध और चंबल के बाद अब तीसरी क्वारी नदी उफान पर आ गई है। भिंड के गोरमी कस्बे के क्वारी नदी के किनारे के आधा दर्ज गांव बाढ़ की चपेट में हैं। लवेरे का पुरा तक पानी आ चुका है। परोसा, टीकरी और सिकरौदा गांव तक पानी आ चुका। गांव के बाहर बने मकानों में पानी घुस गया है। प्रशासन ने गांव खाली करने की हिदायत दे दी है। इधर, सिंध के किनारे के गांव में राहत है। पानी लगातार उतर रहा है। चंबल नदी स्थिर बनी है।
वहीं बाढ़ और मकान गिरने से सबसे ज्यादा शिवपुरी में 11 लोगों की जान गई है। ग्वालियर में 3, मुरैना में 2, भिंड-श्योपुर में एक-एक की जान गई है। CM शिवराज सिंह ने इसे महाविनाश माना है। सैकड़ों करोड़ रुपए के सड़क, बिजली, पुल, संचार अन्य तरह के अंधोसरचना का नुकसान हुआ है। यह सब वापस तैयार करना भी सरकार के लिए चुनौती है। ग्वालियर-चंबल अंचल के किस जिले में क्या हालात हैं एक नजर में।
जो पहने हैं वो एक जोड़ी कपड़े ही बचे
अंचल के 50 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ प्रभावित हैं। हजारों लोग अलग-अलग जिलों में बने 126 राहत कैंप में शरण लिए हुए हैं। 18 लोगों की मौत हो चुकी है, अकेले शिवपुरी में 11 लोग जान गंवा चुके हैं। कितने लोग लापता हैं, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है। बाढ़ से 4 हजार मकान बह चुके हैं या ढह गए हैं। पानी उतरने के बाद पलायन कर चुके लोग लौट रहे हैं। अब इनके सामने जिंदगी की चुनौती है। सिर्फ एक जोड़ी कपड़े जो वह पहन रखे हैं, उसके अलावा कुछ भी नहीं है
भिंड: हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू, सिंध के बाद चंबल से खतरा
चंबल अंचल के भिंड में हालत ग्वालियर अंचल के जिलों से अलग हैं। यहां सिंध नदी बाढ़ की तबाही मचा चुकी है और चंबल खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। भिंड के उदयमाड में चंबल 128.47 मीटर बह रही है, जो खतरे के निशान से करीब 5.73 मीटर है। यहां सिंध भी चढ़ी हुई है वह भी 155.60 मीटर पर बह रही है। अभी तक 100 गांव खाली करा लिए गए हैं। करीब 65 गांव अति बाढ़ प्रभावित हैं। भिंड में अभी तक 812 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। 7154 लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। यहां बारिश न होने से बचाव कार्य में हेलिकॉप्टर भी लगे हैं।
मुरैना: दो मौतें, 100 से ज्यादा मवेशी बहे
चंबल नदी का जलस्तर मुरैना में 145 मीटर से घटकर 142.80 मीटर पर आ गया है, पर खतरा टला नहीं है। कोटा बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने से खतरा बना हुआ है। चंबल व क्वारी दोनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। मुरैना के 68 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इनमें 2649 परिवार फंसे हैं। इनकी संख्या 13 हजार 574 है। जिला प्रशासन की टीम ने 4596 लोगों को शुक्रवार सुबह तक रेस्क्यू कर लिया है। NDRF के 50, SDRF के 23, आर्मी के 50 तथा DFO व होमगार्ड के साथ पुलिस बल के सदस्य रेस्क्यू कर रहे हैं। दो मौत और 100 से अधिक मवेशी की मौत की खबर है।
ग्वालियर: 3 की मौत, 1 हजार से ज्यादा मकान तबाह
ग्वालियर में 46 गांव प्रभावित हैं। करीब 300 लोगों रेस्क्यू कर बाढ़ के बीच में से बचाया गया है। 8250 लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। 8 राहत शिविर बनाए गए हैं। 3 लोगों की मौत भी हो चुकी है। दो लापता हैं। सरकारी रिकॉर्ड में 150 से ज्यादा मवेशी बह चुके हैं। सिंध, पार्वती नदियों में पानी उतरने के बाद अब जब पलायन कर चुके लोग लौटे हैं तो गांव में तबाही के अलावा कुछ और नहीं दिखाई दे रहा है। हजारों बीघा जमीन की फसल नष्ट हो चुकी है। करीब 1 हजार मकान तबाह हो गए हैं। बिजली, पेयजल, सड़क, संचार सहित अन्य सभी सेवाएं ठप हैं। अभी भी बारिश हो रही है, जिसके चलते रहने और खाने की समस्या खड़ी हो गई है। शुक्रवार को भी मौसम विभाग ने अच्छी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे डर के बादल मंडरा रहे हैं।
शिवपुरी: 11 लोगों की जान गई, 1200 से ज्यादा मकान गिरे
शिवपुरी में आया जल सैलाब अब शांत होने लगा है और जैसे-जैसे जलस्तर घट रहा है सैलाब से हुई तबाही की तस्वीर निकलकर सामने आने लगी है। सरकारी आंकड़ों में अभी तक 11 लोगों की जान जाने की पुष्टि हुई है, लेकिन जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उससे इस संख्या में इजाफा हो सकता है। प्रशासन ने 86 पुशओं की मौत की पुष्टि की है। शिवपुरी में अति बाढ़ क्षेत्र से 850 सहित 2 हजार लोगों को बचाया जा चुका है और राहत शिविर में संघर्ष कर रहे हैं। इसके अलावा फसल के नुकसान का अभी कोई भी आकलन नहीं किया गया है, क्योंकि जिम्मेदारों का मानना है कि फसल के नुकसान का दायरा काफी बढ़ा है, पर प्रारंभिक तौर पर करीब 5000 हेक्टेयर जमीन में फसल के नुकसान की बात बताई जा रही है। हालांकि, जमीनी हकीकत यह है कि फसल का नुकसान इससे कहीं अधिक है जो सर्वे के बाद स्पष्ट हो सकेगा। फिलहाल जिले भर में 1237 घर बाढ़ में ढह गए हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर यहां भी समस्या बना है। सड़कें उखड़ गई हैं। मौसम विभाग की बारिश की चेतावनी यहां भी संकट बनी हुई है।
दतिया: पानी उतरा, 200 मकान बहे
दतिया में उफनती सिंध नदी ने काफी तबाही मचाई है। यहां 200 से ज्यादा मकान बह गए हैं। 1165 लोगों को बाढ़ से बाहर निकाला गया है। 2675 को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। 8 राहत शिविर में करीब 3 हजार लोग हैं। रेस्क्यू बंद हो चुका है। दतिया के करीब 36 गांव गहरी चपेट में हैं, पर उसके बाद अब सबसे बड़ी चुनौती यहां खाने और रहने की है। अब पानी उतरने के साथ जब लोग लौटे तो तबाही की तस्वीर के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है। इतना ही नहीं सिंध नदी के बहाव में दतिया के गोराघाट में लांज का पुल, रतनगढ़ सनकुंआ का पुल बहने और सड़कें उखड़ने से जिंदगी पटरी पर लौटती नहीं दिख रही है। सिंध का जलस्तर अभी भी 138 मीटर की जगह 144 मीटर पर बना हुआ है। पर धीरे-धीरे पानी कम हो रहा है।
सरकार के सामने अब यह चुनौती
ग्वालियर-चंबल अंचल में लगातार बारिश हो रही है। चार दिन में 800 MM पानी बरस चुका है। मौसम विभाग ने शुक्रवार के लिए गुना, श्योपुर को रेड जोन में रखते हुए भारी बारिश की चेतावनी दी है, जबकि शिवपुरी, मुरैना और ग्वालियर ऑरेंज जोन में हैं।
हजारों हेक्टेयर जमीन की नष्ट हो चुकी फसल का आकलन करना चुनौती रहेगा। इसका क्या पैमाना रहेगा। जल्द से जल्द कैसे इसे पूरा किया जा सकेगा।
उखड़ चुकी सड़कें, बह चुके पुल, टूट चुके हाईवे, संचार सेवा, बिजली आपूर्ति में सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। यह सड़कें, पुल कैसे बनेंगे और कब तक यह चुनौती रहेगा।
4 हजार मकान बाढ़ में बह चुके हैं अब उनको वापस कैसे बनाया जाएगा। इसके लिए फंड मध्यप्रदेश सरकार कहां से लाएगी।
शिवपुरी की 11, ग्वालियर की 5 मौत सहित करीब 20 मौत के परिवार के लोगों को मुआवजा देना चुनौती।
राहत शिविरों में हजारों लोगों को वापस स्थापित करना भी चुनौती रहेगा। इनके कपड़े, घर गृहस्थी सब उजड़ गए हैं।