मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी EWS को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर की गई है। इस अर्जी में मांग की गई है कि किसी भी वैकेंसी में दिए गए कुल पदों पर 10 फीसदी EWS कोटा लागू नहीं होना चाहिए। इसकी बजाय यह आरक्षण ओबीसी, एससी और एसटी रिजर्वेशन के बाद बाकी बचे जनरल पदों पर लागू होना चाहिए। हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने इस अर्जी को अब सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश की बेंच के समक्ष ट्रांसफर किया है। यही नहीं याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस मामले में फैसला आने तक EWS कोटे के तहत भर्तियों पर रोक लगनी चाहिए।
अर्जी में कहा गया है कि राज्य में जिस तरह से ओबीसी को मिलने वाले 13 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण पर आखिरी फैसले तक रोक लगाई गई है। वैसा ही इस मामले में भी किया जाना चाहिए। अर्जी दायर करने वाले अखिलेश यादव राज्य में शिक्षक भर्ती को लेकर कहा कि भर्ती परिणाम को ओबीसी को अब तक मिल रहे 14 फीसदी आरक्षण के आधार पर ही घोषित किया गया है। इसी तरह से EWS कोटे पर भी अर्जी दायर है और उस पर आखिरी फैसला आने तक उसके आधार पर भर्ती किए जाने पर रोक लगाई जानी चाहिए।
याची ने कहा कि यदि ऐसा है तो फिर ओबीसी आरक्षण को लेकर भी ऐसी रोक नहीं होनी चाहिए। इस अर्जी पर शुरुआती बहस के बाद जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की बेंच ने अर्जी को चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच को ट्रांसफर कर दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से ए़डवोकेट रामेश्वर प्रसाद सिंह ने बहस की थी। बता दें कि संविधान में संशोधन के तहत देश में सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लोगों के लिए 10 फीसदी के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। केंद्र और राज्य सरकारों की भर्तियों में यह लागू हो गया है।