एमपीएमएलए कोर्ट के विशेज जज पवन कुमार राय ने कारापाल व उपकारापाल पर हमला, जेल में पथराव व जानमाल की धमकी देने के एक मामले में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को 11 अगस्त को व्यक्तिगत रुप से पेश करने का आदेश दिया है। उन्होंने इस संदर्भ में अपने इस आदेश की प्रति अनुपालनार्थ बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक के साथ ही अतिरिक्त महानिदेशक कारागार, लखनऊ के पुलिस कमिश्नर, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव गृह व मुख्य सचिव को भी भेजने का आदेश दिया है।
इससे पूर्व जिला कारागार, बांदा के वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि अभियुक्त को गंभीर बीमारियां है। जिसकी वजह से अदालत के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थ है। लिहाजा गुजारिश है कि उसके विरुद्ध आरोप विरचन की कार्यवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की जाए।
विशेष जज ने अपने आदेश में कहा है कि वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने प्रार्थना पत्र में इस संदर्भ में कोई आख्या नहीं दी है कि उनके द्वारा अभियुक्त को आरोप विरचन के लिए अदालत में उपस्थित कराया जा सकता है अथवा नहीं। जबकि इस मामले में अभियुक्त की मात्र पेशी नहीं होनी है बल्कि उस पर आरोप विरचित किया जाना है। यह मामला 20 साल से लंबित है। लेकिन बार-बार आदेश के बाद भी अभियोजन व संबधित थाने के द्वारा रुचि नहीं लेने के कारण कार्यवाही अग्रसारित नहीं हो पा रही है। जबकि अब अदालत भौतिक रुप से नियमित चलने लगा है।
इस मामले में मुख्तार के अलावा अभियुक्त युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव पर आरोप तय होना है। यह सभी अदालत में व्यक्तिगत रुप से उपस्थित हैं। लेकिन मुख्तार अंसारी की अनुपस्थिति से आरोप तय नहीं हो पा रहा है।
मामला-
तीन अप्रैल, 2000 को इस मामले की एफआईआर लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में दर्ज कराई थी। इस मामले में मुख्तार अंसारी, युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव आदि को नामजद किया गया था। एफआईआर के मुताबिक पेशी से वापस आए बंदियों को जेल में दाखिल कराया जा रहा था। इनमें से एक बंदी चांद को विधायक मुख्तार अंसारी के साथ के लोग बुरी तरीके से मारने लगे। आवाज सुनकर कारापाल एसएन द्विवेदी व उपकारापाल बैजनाथ राम चैरसिया तथा कुछ अन्य बंदीरक्षक उसे बचाने का प्रयास करने लगे। इस पर उन्होंने इन दोनों जेल अधिकारियों व प्रधान बंदीरक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर हमला बोल दिया। किसी तरह अलार्म बजाकर स्थिति को नियंत्रित किया गया। अलार्म बजने पर यह सभी भागने लगे। साथ ही इन जेल अधिकारियों पर पथराव करते हुए जानमाल की धमकी भी देने लगे। विवेचना के बाद इस मामले में अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 336, 353 व 508 में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।