दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को गैंगस्टर से एक्टिविस्ट बने लक्खा सिधाना (Lakha Sidhana) को गणतंत्र दिवस पर लाल किले में हुई हिंसा में कथित संलिप्तता से संबंधित एक मामले में अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि उसके खिलाफ मामला नहीं बनता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे पता चले कि सिधाना लाल किले के भीतर मौजूद था और अगर वह था भी तो उसके खिलाफ मामला नहीं बनता है।
न्यायाधीश ने कहा कि जांच अधिकारी यह नहीं बता पाए कि जांच के दौरान आरोपी को हिरासत में रखकर पूछताछ की क्यों जरूरत है? अदालत ने यह भी कहा कि जांच अधिकारी यकीन नहीं हैं कि लाल किले के बाहर आरोपी की उपस्थिति एक बहुत ही गंभीर अपराध है और गैर-जमानती है। न्यायाधीश ने कहा कि मेरे विचार से इनमें अधिकतर मामले जमानती हैं।
अदालत ने 50,000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत राशि पर अग्रिम जमानत मंजूर कर ली। सिधाना से अपना पासपोर्ट सौंपने और महीने में दो बार अपने रहने के स्थान के बारे में जांच अधिकारी को अवगत कराने तथा हर महीने के अंतिम शनिवार को पंजाब के बठिंडा जिले में एक थाने के एसएचओ के समक्ष पेश होने को भी कहा गया।
एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रजत कालरा ने अदालत को बताया कि सिधाना हिंसा के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। हालांकि, सिधाना ने गणतंत्र दिवस पर हिंसा में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस से भिड़ंत हो गई थी और लाल किले में उपद्रव मचाते हुए प्राचीर के ध्वज स्तंभ पर धार्मिक झंडे फहरा दिए थे। हिंसा की घटनाओं में कई पुलिस कर्मी घायल हुए थे।