उलटा चोर, कोतवाल को डांटे, यह कहावत तो सुनी ही होगी। भारत का पड़ोसी देश चीन अब इस कहावत को सच करता दिख रहा है। दरअसल, कोरोना वायरस कहां से पैदा हुआ, यह पता लगाने के लिए चीन के लैबों की जांच की मांग तेज हो गई है। इससे बौखलाकर चीन ने अब उल्टे अमेरिकी पर ही हमला बोला है और विश्व स्वास्थ्य संगठन से मांग की है कि वह उसके लैब की बजाय यूएस के मिलिटरी बेस फोर्ट डेट्रिक की जांच करे।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘अगर लैब की जांच की जानी है, तो डब्लूएचओ एक्सपर्ट्स को फोर्ट डेट्रिक जाना चाहिए।’ झाओ लिजियान का बयान इस दावे को लेकर आया है कि कोरोना वायरस एक लैब से निकला और फिर इंसानों में आकर पूरी दुनिया में फैल गया। चूंकि, चीन के वुहान में सबसे पहला कोरोना केस रिपोर्ट हुआ था, इसलिए यह शहर शक के दायरे में सबसे पहले आया है। हालांकि, चीन लगातार इस दावे को खारिज करता रहा है और उसने अब कहा है कि लैब लीक थियोरी के समर्थकों को अमेरिकी बायोलॉजिकल लैब की जांच करनी चाहिए।
झाओ ने कहा, ‘अमेरिका को पारदर्शी और जिम्मेदाराना तरीके से काम करना चाहिए और डब्लूएचओ के एक्सपर्ट्स को अपनी फोर्ट ड्रेट्रिक लैब की जांच के लिए आमंत्रित करना चाहिए। सिर्फ इसी तरह से दुनिया के सामने सच आ सकता है।’
बता दें कि हाल ही में डब्लूएचओ ने प्रस्ताव दिया था कि कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए दूसरे चरण की जांच होनी चाहिए। इसके तहत चीन के लैब और वुहान की मार्केट की भी जांच होनी चाहिए। पहली जांच में, डब्लूएचओ की टीम के साथ चीनी शोधकर्ताओं ने भी चीन के वुहान शहर का दौरा किया था।
यह टीम इसी साल जनवरी माह में चीन गई थी और बाद में जारी की गई इसकी जांच रिपोर्ट में कहा गया कि वायरस संभवतः चमगादड़ या किसी अन्य जानवर से इंसानों तक पहुंचा। टीम ने यह भी कहा कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जिससे यह साबित हो कि कोरोना वायरस वुहान लैब से लीक हुआ था। हालांकि, डब्लूएचओ की एक्सपर्ट्स की टीम के इस दावे की काफी आलोचना हुई। इसके कुछ हफ्ते बाद ही डब्लूएचओ डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडोनोम ने यह कहा कि कोरोना के लैब से निकलने की थियोरी को खारिज करना अपरिपक्वता होगी।