कोविड-19 ने राजधानी दिल्ली पर किस कदर कहर बरपाया है इसका अंदाजा दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए ताजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है। विभाग के मुताबिक कोविड-19 के दौरान दिल्ली में 5640 बच्चे अनाथ हुए हैं। उन्होंने अपने माता व पिता दोनों को खो दिया है। जबकि 273 बच्चे ऐसे हैं जिनके सिर से मां अथवा पिता किसी एक परिजन का साया उठ गया है।
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से जवाब दिया गया है कि उन्होंने यह आंकड़ा दिल्ली के सभी जिलों मेंं कार्यरत बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति एवं एकीकृत बाल विकास योजना(आईसीडीएस) के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अन्य माध्यमों से जुटाया है।दिल्ली में अनाथ हुए अथवा माता या पिता में से किसी एक परिजन को खोने वाले बच्चों की यह जानकारी 14 जुलाई तक की है। हालांकि इन बच्चों के पुनर्वास को लेकर मांगी गई सूचना पर विभाग का कहना था कि यह जानकारी उनके अंतर्गत नहीं आती है इसलिए बाकी सवालों के जवाब के लिए इस आरटीआई को संबंधित विभाग को भेज दिया गया है।
पुनर्वास को लेकर पूछा गया था सवाल, नहीं मिला जवाब
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के कार्यालय में आरटीआई दाखिल कर पूछा गया था कि कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए बच्चो के पुनर्वास, उनके रहने एव खाने की क्या व्यवस्था की गई है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पिछड़ा वर्ग/ अल्पसंख्यक/ अनाथ एवं स्ट्रीय चाइल्ड के लिए दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस में कितने बच्चों को दाखिला दिया गया। यह एक आवासीय स्कूल है। इस पर महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से कहा गया कि इस संदर्भ में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब के लिए आरटीआई को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पिछड़ा वर्ग/ अल्पसंख्यक कल्याण विभाग व शिक्षा निदेशालय के सूचना विभाग के अधिकारी को भेज दिया गया है।
20 दिन पहले ऐसे बच्चों का विभाग के पास नहीं था आंकड़ा
कोविड-19 की वजह से अनाथ व माता या पिता में से एक परिजन को खोने की सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी पर 30 जून को दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से बताया गया था कि अभी उनके पास उपयुक्त आंकड़ा नहीं है। ऐसे बच्चों तक पहुंचने के लिए विभिन्न सरकारी विभाग जिनमें चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड, स्टेट चाइल्ड प्रोटेक्शन सोसायटी, डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स एवं डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर लगातार काम मेंं जुटे हैं। जल्द ही इन बच्चों तक पहुंच इसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।