समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि अपनी कठपुतली भाजपा सरकार को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सक्रिय हो गया है। लेकिन जब भाजपा की नाव डूब रही है तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शरण में जाने से भी क्या होगा?
अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि संघ इस बात से चिंतित है कि भाजपा सरकार ने साढ़े चार साल बिता दिए और धेले भर का भी काम नहीं किया। इसलिए लखनऊ में हुई संघ की समन्वय बैठक में फिर से मतदाताओं को बहकाने-भटकाने की रणनीति तय की गई है। दिखावे के लिए कथित सेवा को भी राजनीति में घसीटने का प्रयास है। डराने, धमकाने का भी मुद्दा बनाने का इरादा है।
सपा मुखिया ने कहा कि खुद संघ महानगरों की शाखाओं में सीमित है। गांव-किसान-मजदूर से उसका कोई नाता रिश्ता नहीं है। लोकतांत्रिक मूल्यों से उसे परहेज है। पथ संचलन के नाम पर सिर्फ सड़क पर उनका डण्डा प्रदर्शन ही दिखता है। सेवा क्षेत्र में तो उसकी कहीं कोई उपस्थिति कोरोना संक्रमण काल में दिखाई नहीं दी। वह निरर्थक मुद्दें उठाकर समाज के एक वर्ग को आतंकित करती है और समाज में विघटन के बीज बोता है।
जनता संघ-भाजपा दोनों की सच्चाई जानती है। प्रदेश में जनता ने समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने का इरादा कर लिया है। भाजपा जनादेश का अपमान कर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। जनादेश के अपमान का पाठ अब जनता ही उसे पढ़ाएगी। सन् 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ होना तय है।