तालिबान की तुलना इस्लामिक स्टेट खुरासान और अल-कायदा से करते हुए अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान का राजनयिक समुदाय तालिबान के लिए एक काल्पनिक छवि बनाने और रंगाई पुताई कर उसे सजाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। सालेह ने एक ट्वीट में कहा ‘पाकिस्तान का राजनयिक समुदाय तालिबों के लिए एक काल्पनिक छवि को चित्रित करने और सजाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। हालांकि असल में तालिबान 2.0, आईएस- खुरासन और अल-कायदा के अफगानिस्तान वर्जन के अलावा कुछ और नहीं है, जो विदेशी “अच्छे और बुरे आतंकवादियों” को ठिकाने प्रदान करता है।’
गौरतलब है कि हाल ही में सालेह ने ट्विटर पर ये भी कहा था कि पाकिस्तान वायु सेना अब कुछ क्षेत्रों में तालिबान को नजदीकी हवाई सहायता प्रदान कर रही है। दरअसल, तालिबान फिर से अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है और इसको लेकर पाकिस्तान की बड़ी भूमिका भी सामने आने लगी है।
‘तालिबान के खिलाफ एक्शन पर डरा रहा पाक’
सालेह ने ये भी बताया था कि “पाकिस्तानी वायु सेना ने अफगान सेना और वायु सेना को आधिकारिक चेतावनी जारी की है कि स्पिन बोल्डक क्षेत्र से तालिबान को हटाने के किसी भी कोशिश पर पाकिस्तान वायु सेना का सामना करना होगा।” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा था, “इसके अलावा, 215 कोर के हमारे बहादुर कमांडो ने निमरोज में चखनसौर जिले पर फिर से कब्जा कर लिया, सभी तालिबानियों को मार डाला और पिछले हफ्ते गंवाए 10 एपीसी को फिर से ले लिया। अफगानिस्तान बहुत बड़ा है और इसे निगलना पाकिस्तान के बस की बात नहीं।” पाकिस्तान वायु सेना अब तालिबान को कुछ हद तक करीबी हवाई सहायता प्रदान कर रही है।
अफगानिस्तान में क्या हो रहा है?
बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही तालिबान अफगान सुरक्षा बलों पर भारी पड़ रहे हैं। कंधार के अपने पूर्व गढ़ के साथ ही तालिबान ने एक तिहाई जिलों पर कब्जा करने का दावा किया है। बुधवार को, तालिबान ने पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के प्रमुख सीमा क्रॉसिंग में से एक पर कब्जा कर लिया। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, यह उन सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है जिसे तालिबान ने अब तक देश भर में तेजी से आगे बढ़ने के दौरान हासिल किया है।