विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को अफगानिस्तान के अपने समकक्ष मोहम्मद हनीफ अतमर से ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में मुलाकात की और इस दौरान अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की। जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद् और अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह की बैठकों में भाग लेने के लिए मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर दुशान्बे पहुंचे। जयशंकर ने ट्वीट किया, ” मेरे दुशान्बे दौरे की शुरुआत अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमर से मुलाकात के साथ हुई। हालिया घटनाक्रम को लेकर उनकी अद्यतन जानकारी को सराहा। अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह की कल होने वाली बैठक को लेकर उत्साहित हूं।”
गौरतलब है कि यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान के अधिकतर इलाकों को तेजी से अपने नियंत्रण में ले रहे हैं, जिसने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। भारत ने अफगान बलों और तालिबान लड़ाकों के बीच भीषण लड़ाई के मद्देनजर कंधार स्थित अपने वाणिज्य दूतावास से लगभग 50 राजनयिकों एवं सुरक्षा कर्मियों को एक सैन्य विमान के जरिए निकाला है।
बैठक काफी अहम
SCO देशों के साथ होने वाली यह बैठक अफगानिस्तान के लिए भी काफी होने वाली है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की के बाद वहां अचानक तालिबान का वर्चस्व काफी बढ़ा है। ऐसे में अफगानिस्तान को तालिबान से निपटने के लिए वैश्विक ताकत की जरुरत पड़ेगी। यह बैठक अफगानिस्तान के लिए कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बैठक से पहले अफगानी विदेश मंत्री हनीफ अतमर ने ट्वीट कर कहा है कि कहा, शांति, सुरक्षा और आर्थिक विकास पर हमारे सहयोग पर चर्चा करने के लिए SCO देशों के एफएम के साथ द्विपक्षीय जुड़ाव के लिए भी तत्पर हैं।अफगानितस्तान में बीते कुछ हफ्तों में एक के बाद एक लगातार कई आतंकी हमले हुए हैं। ये हमले ऐसे समय में बढ़ गए हैं जब अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान से वापसी का ऐलान कर दिया है। करीब दो दशक के बाद अमेरिकी सैनिक अगस्त के अंत तक पूरी तरह से अफगानिस्तान से चले जाएंगे। जाहिर है अफगानिस्तान, तालिबान के बढ़ते वर्चस्व को रोकने के लिए भारत समेत अन्य देशों से महत्वपूर्ण रिश्तों पर जोर देगा।
भारत निभा सकता है अहम रोल
अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने के लिए भारत काफी अहम रोल निभा सकता है। भारत इस देश में कई निर्माण गतिविधियों में 300 करोड़ डॉलर का निवेश कर चुका है। भारत हमेशा से अफगानिस्तान में शांति का समर्थक रहा है और इसके लिए अफगान नेतृत्व और अफगान द्वारा संचालित प्रक्रिया का ही समर्थक भी रहा है।