इंग्लैंड के हाथों तीन मैचों की वनडे सीरीज में 0-3 से क्लीन स्वीप होने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट टीम की चारों ओर कड़ी आलोचनाएं हो रही है। लगातार तीन वनडे हारने के बाद पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने बाबर आजम की कप्तानी वाली टीम की आलोचना करते हुए कहा कि मौजूदा टीम में कोई भी स्टार नहीं है। अख्तर का यह बयान कप्तान बाबर के गले नहीं उतर रहा है और उनका कहना है कि अख्तर बताए कि कौन स्टार है। उन्होंने साथ ही कहा कि इस मामले पर वह पूर्व तेज गेंदबाज के साथ बहस नहीं करना चाहते हैं। 26 साल के बाबर ने अख्तर की टिप्पणी पर जवाब देते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि वह ( शोएब अख्तर) ऐसा नहीं सोचते, लेकिन सभी खिलाड़ी हर समय अपना 100 फीसदी दे रहा है। मुझे लगता है कि आपको उनसे पूछना चाहिए कि कौन स्टार है और कौन नहीं। मैं इस पर बहस या टिप्पणी नहीं कर सकता।’
बाबर ने अपने करियर की बेस्ट पारी खेलते हुए 158 रन का स्कोर बनाया। उनके अलावा मोहम्मद रिजवान ने 74 रनों की पारी खेली। इसके दम पर पाकिस्तान की टीम ने 50 ओवर में नौ विकेट पर 331 रन का स्कोर बनाया। कप्तान ने टीम की बैटिंग को लेकर कहा, ‘ अगर हम बल्लेबाजी के बारे में बात करते हैं, तो गेंद शुरू में थोड़ी दोगुनी गति से आ रही थी। हम एक पार्टनरशिप को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। हम इसे जितना अधिक समय तक लेंगे, हमारे लिए उतना ही बेहतर होगा क्योंकि हम अंत तक टिके रह सकते थे। मैंने इमाम के साथ पार्टनरशिप की और फिर मोहम्मद रिजवान के साथ एक और अच्छी पार्टनरशिप की। मुझे लगता है कि स्कोर काफी था। हम और अधिक रन बना सकते थे लेकिन कुछ बैक-टू-बैक विकेट खोने के कारण ऐसा नहीं हो पाया।’
अख्तर ने इससे पहले कहा कि पाकिस्तान की टीम 70 के दशक की क्रिकेट खेल रही है। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, ‘पाकिस्तान अभी तक 70 के दशक की क्रिकेट खेल रहा है। ये खिलाड़ी उस विकेट पर 320-330 रन बनाकर खुश रहते हैं, जहां इससे कहीं ज्यादा रन बन सकते हैं। जब हमारे दो-तीन विकेट गिर जाते हैं, तो हम स्लो पड़ जाते हैं, और सोचते हैं कि हम अंतिम 10 ओवरों में रन बना लेंगे। ये 70 के दशक की क्रिकेट है, हम वहीं अटके हुए हैं। इंग्लैंड ने हमसे अच्छी क्रिकेट खेली, उनके बल्लेबाज हमेशा स्ट्राइक रोटेट करते रहे, जिससे स्कोरकार्ड चलता रहा और कभी भी बल्लेबाज प्रेशर में नहीं दिखा। लेकिन हमने 70 के दशक वाली क्रिकेट खेली, क्योंकि हमारी मानसिकता ऐसी है, हम खुद में सुधार नहीं लाना चाहते।’