राजस्थान के उदयपुर जिले की एक अदालत ने फर्जी मार्कशीट पर पत्नी को पंचायत चुनाव लड़ाने के आरोप में सलूम्बर से बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। सराड़ा की निचली अदालत ने सोमवार को इस मामले में मीणा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। बीजेपी विधायक मीणा ने इस मामले में न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था। साल 2015 में विधायक अमृतलाल मीणा ने अपनी पत्नी को सेमारी सरपंच पद का चुनाव लड़ाया और वह सरपंच चुनी गई थीं।
शांता देवी की प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार सुगना देवी ने शांता देवी की पांचवी कक्षा की फर्जी मार्कशीट को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले की जांच करने पर मार्कशीट फर्जी पाई गई। शांता देवी के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई और अभी वह बेल पर बाहर हैं।
उदयपुर एसपी राजीव पचार ने बताया कि विधायक मीणा की अंतरिम बेल की अर्जी को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही खारिज कर दिया था। मीणा ने पिछले महीने हाईकोर्ट में बेल अर्जी दी थी, जिसके खारिज होने के बाद फर्जी मार्कशीट का यह मामला उच्चत्तम न्यायालय तक पहुंचा। उच्त्तम न्यायालय ने विधायक अमृतलाल मीणा को मामले में तीन हफ्ते में स्थानीय अदालत में सरेंडर करने के आदेश दिए। इसके बाद सोमवार को विधायक मीणा ने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
एसपी ने बताया कि फर्जी मार्कशीट अजमेर जिले के नसीराबाद की थी। मामले की जांच सीआईडी को सौंपी गई थी, जिसने मार्कशीट को फर्जी पाया। बता दें कि राजस्थान की पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को लागू किया गया था। जिला पंचायत चुनावों के लिए जहां उम्मीदवार का दसवीं पास होना जरूरी था तो वहीं सरपंच चुनाव के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों का आठवीं और पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों का पांचवी कक्षा तक पढ़ा-लिखा होना अनिवार्य था। हालांकि, अशोक गहलोत की सरकार ने इस फैसले को पलटते हुए पुराने नियमों को लागू कर दिया था।