शेयर बाजार का एक गोल्डेन रूल है। अगर आपके पास धैर्य है तो आपके पास पूरा आकाश है। यह उन इक्विटी निवेशकों के लिए सही है, जिन्होंने अप्रैल 1993 में एमआरएफ के शेयरों में निवेश किया और होल्ड किया। एमआरएफ (मद्रास रबर फैक्ट्री), जिसने 10 रुपये प्रति शेयर के फेस वैल्यू के साथ एक कंपनी के रूप में शुरुआत की और पिछले 28 वर्षों में निवेशकों को 754545 प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया है। यानी अगर किसी निवेशक ने 28 साल पहले अगर किसी ने एमआरएफ शेयरों में 1 लाख रुपये का निवेश किया होता, तो 12 जुलाई 2021 को दोपहर एक बजे तक उसका पैसा 75.45 करोड़ रुपये हो चुका होता।
पिछले कुछ वर्षों में एमआरएफ शेयरों ने निवेशकों के लिए कई गुना रिटर्न दिया है। 27 अप्रैल 1993 को कंपनी का शेयर बीएसई पर 11 रुपये पर बंद हुआ था और आज इसकी मौजूदा कीमत 83265.90 रुपये है। यह शेयर पिछले एक साल में अपने उच्चतम मूल्य 98,575.90 रुपये पर पहुंच चुका है। अगर एक साल की बात करें तो इस स्टॉक ने अपने निवेशकों को 28.81% रिटर्न दिया है।
एमआरएफ भारतीय इक्विटी बाजार का महंगा स्टॉक है, जिसकी कीमत एक शेयर के लिए 83000 रुपये है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एमआरएफ ने अपने स्टॉक को कभी विभाजित नहीं किया है। लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए कंपनियां समय-समय पर अपने स्टॉक को विभाजित करती हैं। लेकिन एमआरएफ ने कभी शेयर बंटवारे या बोनस शेयर जारी करने का सहारा नहीं लिया। बता दें वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए, कंपनी ने 1249.06 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया।
इस कंपनी की शुरुआत केएम मम्मन मप्पिल्लई ने 1946 में मद्रास के तिरुवोट्टियूर में एक खिलौना गुब्बारा बनाने वाली कंपनी के रूप में की थी। 1952 में कंपनी ने ट्रेड रबर के निर्माण में कदम रखा। मद्रास रबर फैक्ट्री लिमिटेड को नवंबर 1960 में एक निजी कंपनी के रूप में शामिल किया गया था और संयुक्त राज्य में स्थित मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ साझेदारी में टायर का निर्माण शुरू किया। 1967 में यह अमेरिका को टायर निर्यात करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई। आज, कंपनी टायर, ट्रेड, ट्यूब और कन्वेयर बेल्ट, पेंट, खिलौने (फनस्कूल) और यहां तक कि क्रिकेट बैट सहित रबर उत्पादों का निर्माण करती है।