लंबे समय से अमेरिका और चीन के बीच चले आ रहे व्यापार युद्ध में कुछ राहत होने के संकेत मिले हैं। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने गुरुवार को बताया कि चीनी वाणिज्य मंत्री वांग वेंटाओ और उनके अमेरिकी समकक्ष जीना रायमोंडो ने फोन पर बातचीत की और इस बातचीत में अमेरिका और चीन व्यापार व निवेश संबंधों को लेकर आगे बढ़ने पर सहमत हुए हैं।
बाइडेन के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच हुई यह पहली बताचीत है। चीनी सरकार के बयान के मुताबिक, दोनों देशों के मंत्रियों ने “व्यापार और निवेश में व्यावहारिक सहयोग के स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने के लिए सहमति व्यक्त की” इसके अलावा दोनों देशों ने प्रासंगिक मुद्दों और चिंताओं पर व्यवहारिक रूप से अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
बीते कई सालों से अमेरिका और चीन के सबंध तनावपूर्ण रहे हैं। दोनों देशों के तनावपूर्ण रिश्तों के पीछे की मुख्य वजहें- आर्थिक संबंध और प्रशांत क्षेत्र को लेकर प्रतिद्वंद्विता, एक-दूसरे के राजनीतिक इरादों पर आपसी संदेह हैं। दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों के बीच फोन पर हुई यह बातचीत रिश्तों में आए तनाव को कम करने का बाइडेन प्रशासन के प्रयास का हिस्सा है और इस सप्ताह इस तरह की होने वाली यह तीसरी कॉल है।
चीन दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को सामान्य करने के नए प्रयासों को लेकर आशावादी दिखाई दे रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता गाओ फेंग के मुताबिक, देश ने अमेरिका के साथ “सामान्य बातचीत” शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए कुछ मुद्दों को व्यावहारिक रूप से हल करने और स्वस्थ, स्थिर आर्थिक और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने पर सहमत हुए हैं।
वहीं दूसरी ओर, अमेरिका के बयान में बातचीत को लेकर इतनी सकारात्मकता दिखाई नहीं देती है। अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने वीकेंड में एशिया-प्रशांत व्यापार मंत्रियों की एक बैठक से पहले कहा कि बाइडेन प्रशासन चीन के साथ “काफी असंतुलित” व्यापार संबंधों को बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन अमेरिका-चीन संबंधों के कुछ हिस्से हैं “जो अस्वस्थ हैं और समय के साथ अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए से हानिकारक हैं।”
समाचार एजेंसी के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार के विश्लेषक और निवेशक दोनों देशों के बीच हुई बातचीत को लेकर ज्यादा उत्सुकता नहीं दिखा रहे हैं। लेकिन अमेरिका और चीन की बातचीत पर ये कड़ी नजर रख रहे हैं। हालांकि यह सच है कि दोनों देश आर्थिक और व्यापार सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं और यह एक सकारात्मक कदम है। चूंकि अभी तक हुई बातचीत में कोई भी बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। इसलिए उन्होंने अपनी अपेक्षाओं को बढ़ने नहीं दिया है।
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