बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय ने विगत वर्ष दीक्षांत समारोह में यूट्यूब पर अपनी बात रखने वाली छात्रा के ऊपर लगाया गया पांच हजार रुपये का जुर्माना मनीष सिसोदिया के हस्तक्षेप के बाद वापस ले लिया गया है।
विश्वविद्यालय की अधिकारी ने बताया कि यह जुर्माना उपमुख्यमंत्री के निर्देश के बाद वापस ले लिया गया है। उपमुख्यमंत्री ने सोमवार को इस छात्रा पर किसी तरह की कार्रवाई न करने का निर्देश दिया और कहा कि विश्वविद्यालय में छात्रों को वाद-विवाद करने और अपनी बात रखने का हक है। इसके अलावा उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेटरी उच्च शिक्षा को इस मामले में यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि भविष्य में दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों में इस तरह की किसी भी छात्र पर कोई कार्रवाई न की जाए, जब तक वह देश या संविधान के खिलाफ न हो।
ज्ञात हो कि छात्रा के ऊपर हुई कार्रवाई के खिलाफ छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने शुरू से आवाज उठाई थी। सिसोदिया ने कहा कि अगर नेताओं के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबा दिया जाएगा तो यह लोकतंत्र नहीं तानाशाही कहलाएगी।
जानिए क्या है मामला?
अंबेडकर विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के एक छात्रा पर पिछले साल दिसंबर में ऑनलाइन आयोजित किए गए वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। विश्वविद्यालय ने पिछले साल 23 दिसंबर को दीक्षांत समारोह का आयोजन किया था और केजरीवाल इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन यूट्यूब के माध्यम से ऑनलाइन किया गया था। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थी ने यूट्यूब के चैट रूम का इस्तेमाल करते हुए कार्यक्रम में बाधा डालने का प्रयास किया था।
विश्वविद्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि छात्रा का आचरण अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए निर्धारित और अधिसूचित अनुशासन संहिता का उल्लंघन थी।
वहीं, वाम छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) का कहना था कि छात्र ने फीस वृद्धि और आरक्षण नीति लागू करने में खामियों को लेकर ऑनलाइन विरोध दर्ज कराया था, जिसको लेकर उस पर 5,000 रुपये जुर्माना लगाया गया था। विश्वविद्यालय के प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने मामले की जांच के लिए एक उप-समिति का गठन किया था। विश्वविद्यालय द्वारा 30 जून को एक आदेश में कहा गया था कि छात्र को सजा का अनुपालन करने के बाद परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी और यह निलंबन की सजा हटा रहा है क्योंकि छात्र अपने अंतिम सेमेस्टर में है।
6 अप्रैल, 2021 को प्रॉक्टोरियल बोर्ड की उप-समिति के बीच एक व्यक्तिगत बातचीत हुई। बातचीत के दौरान छात्र ने स्वीकार किया कि उसने टिप्पणी की थी और उन टिप्पणियों के लिए खुद को दोषी महसूस नहीं किया।
उप-समिति ने संकल्प लिया कि विश्वविद्यालय समुदाय और मुख्य अतिथि और सम्मान के अतिथि के बारे में सार्वजनिक मंच पर की गई टिप्पणियां निराधार और अपमानजनक थीं और स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय समुदाय को बदनाम करने और उनका अपमान करने के लिए एक जानबूझकर किए गए प्रयास के समान हैं।