जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ गुरुवार को मुजफ्फरपुर कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता आचार्य चंद्र किशोर पराशर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से परिवाद दर्ज कराया है। कोर्ट ने परिवाद स्वीकार करते हुए मामले में सुनवाई की तारीख सात जुलाई तय की है। पूर्व मुख्यमंत्री पर जन भावनाओं और देश की अखंडता से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया है। परिवाद में महबूबा मुफ्ती के बयान जो कि जम्मू-कश्मीर व पाकिस्तान से संदर्भित हैं को आरोपों का आधार बनाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पिछले दिनों मांग की थी कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधान दोबारा बहाल किए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की भी मांग की थी। एक्टिविस्ट चंद्र किशोर पाराशर ने कहा कि पीएम ने कश्मीरी नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था लेकिन इसके पहले और बाद में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा कही गई बातों से उन्हें बहुत निराशा हुई है।
गौरतलब है कि 24 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही जम्मू-कश्मीर के नेताओं की सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसमें राज्य के सभी दलों के 14 नेताओं ने भाग लिया था। बैठक में पुनर्गठित राज्य में परिसीमन प्रक्रिया शुरू करने और चुनाव कराने की सम्भावनाओं पर चर्चा हुई। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और कुछ अन्य दलों के नेताओं ने अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की मांग की थी।
बैठक के पहले और बाद में नेताओं ने मीडिया से बातचीत में अपने ये विचार व्यक्त किए थे। याचिका में आरोप लगाया गया है कि महबूबा मुफ्ती के बयान से सीमापार आतंकवाद को फिर सिरे से बढ़ावा मिला है। याचिका में कहा गया है कि महबूबा मुफ्ती के खिलाफ आईपीसी की धारा 109, 110, 111 (अपराध के लिए उकसाना), 120 बी (आपराधिक साजिश), 124 (सरकार के खिलाफ जंग छेड़ना), 323 (जानबूझकर आहत करना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना) के तहत मुकदमा चलाने की मांग की गई है।
बयान से मानसिक आघात पहुंचा
याचिकाकर्ता ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बयान से उन्हें मानसिक आघात पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अखबारों और न्यूज चैनलों पर उनके (महबूबा मुफ्ती के) बयानों से उन्हें परेशानी हुई।