लखनऊ के गोमतीनगर के विपुलखण्ड में एलडीए से आवंटित प्लाट की फर्जी रजिस्ट्री बनाकर उसे सवा करोड़ रुपये में एक व्यक्ति को बेचने के आरोपी जियालाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पीड़ित को जब जालसाजी का पता चला तो उसने रुपये वापस मांगे तो उसे धमकाया जाने लगा था। वर्ष 2018 में पीड़ित ने एफआईआर दर्ज करायी थी। तीन साल से जियालाल फरार चल रहा था। वह काफी समय तक प्रयागराज में भी छिपा रहा। उसके बारे में पुलिस प्रयागराज से भी जानकारी मंगा रही है।
एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव के मुताबिक जियालाल उर्फ मिठ्ठू मूल रूप से प्रयागराज के गंगानगर, कैण्ट का रहने वाला है। इसके अलावा उसका एक घर प्रतापगढ़ के बैसियारा में भी है। जियालाल ने विपुलखण्ड में रहने वाले राजेश कुमार को सेक्टर पांच में मकान नम्बर 262 दिखाया था। उसने इस प्लाट को अपना बताया और सवा करोड़ रुपये की कीमत तय हुई। राजेश कुमार को उसने एलडीए से करायी गई रजिस्ट्री भी दिखायी थी। इस पर वह उसके झांसे में आ गये और रुपये दे दिये। पर, जब वह इस भूखण्ड की नापजोख कराने लगे तो पता चला कि यह प्लाट एलडीए में किसी और के नाम पर है। असली मालिकाना हक के पास भी रजिस्ट्री थी।
फर्जी निकली रजिस्ट्री
गोमतीनगर इंस्पेक्टर केके तिवारी ने बताया कि राजेश कुमार जब एलडीए गये तो पता चला कि जियालाल द्वारा दी गई रजिस्ट्री फर्जी है। इस पर राजेश कुमार ने जियालाल से सम्पर्क किया तो वह गोलमोल जवाब देने लगा। इस पर राजेश ने रुपये वापस मांगे तो वह धमकाने लगा। इसके बाद वह फरार हो गया। मोबाइल भी उसका स्विच ऑफ रहने लगा। इसके बाद ही राजेश कुमार ने गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी थी। पुलिस ने बताया कि जियालाल काफी छकाता रहा। सर्विलांस की मदद से उसके लखनऊ में होने का पता चलते ही गिरफ्तार कर लिया गया।