सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र, तृणमूल कांग्रेस सरकार और भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति विनीत सरन की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस याचिका पर केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। आपको बता दें कि इसमें चुनाव के बाद हुई हिंसा में पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस के जवाब के लिए इन सभी पक्षकारों को चार सप्ताह का समय दिया है। हालांकि याचिका में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी पक्षकार बनाया गया था, लेकिन उन्हें कोई नोटिस नहीं जारी किया गया। लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की निष्पक्ष जांच कराने के लिए विशेष जांच दल गठित करने की मांग भी न्यायालय से की है। इससे पहले इस याचिका पर दो बार सुनवाई तब टल गयी थी, जब न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और अनिरुद्ध बोस ने एक-एक करके खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था।
याचिका में 2 मई, 2021 से पश्चिम बंगाल में हुई चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारणों और कारणों की जांच के लिए शीर्ष अदालत के नियंत्रण और निर्देश के तहत एक एसआईटी गठित करने और इस तरह की हिंसा के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों का पता लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है। दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की मांग की गई है।
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस, अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि विधानसभा चुनावों के दौरान विपक्षी राजनीतिक दल भाजपा का समर्थन करने के लिए टीएमसी के कार्यकर्ताओं द्वारा पश्चिम बंगाल के हजारों निवासियों को आतंकित, दंडित और प्रताड़ित किया जा रहा है। आपको बता दें कि हाल ही में बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे।
याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल के उन हजारों नागरिकों के हितों की वकालत कर रहे हैं जो ज्यादातर हिंदू हैं और बीजेपी का समर्थन करने के लिए मुसलमानों द्वारा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। वे हिंदुओं को कुचलना चाहते हैं ताकि आने वाले वर्षों में सत्ता उनकी पसंद की पार्टी के पास बनी रहे। “
आपको बता दें कि दो मई को नतीजे आने के बाद से राज्य के विभिन्न हिस्सों में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के समर्थकों के बीच कथित रूप से झड़प के बाद कई हिंसक घटनाओं की सूचना मिली थी, जिसमें कम से कम 16 लोग मारे गए थे। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के बाद कई याचिकाएं दायर की गईं और शीर्ष अदालत ने सरकारों से जवाब मांगा था।