नोएडा-ग्रेनो में हजारों लोगों को खेतों की जमीन पर फ्लैट का सपना दिखाकर 20 बिल्डर करोड़ों रुपये लेकर लापता हो गए हैं। इनके पास न कोई जमीन है और न ही उन्होंने कभी कोई प्रोजेक्ट लॉन्च किया। यह खुलासा जिला प्रशासन की जांच में उस समय हुआ, जब रेरा द्वारा जारी आरसी की वसूली के लिए इन बिल्डरों की तलाश की गई।
जिला प्रशासन के अनुसार, रेरा ने 91 बिल्डरों से एक हजार करोड़ से अधिक की आरसी वसूली के लिए जारी की हैं। राजस्व वसूली में जुटी नायब तहसीलदार सीमा सिंह की जांच में करीब बीस ऐसे बिल्डर सामने आए हैं जिनकी 70 करोड़ से अधिक की आरसी थी। लेकिन जब दिए गए पते पर राजस्व की टीम पहुंची तो वहां पर उनका कोई प्रोजेक्ट या जमीन नहीं थी।
इसके बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को पत्र लिखकर उनके प्रोजेक्ट और जमीनों के संबंध में जानकारी मांगी गई तो संबंधित प्राधिकरणों ने उनके नाम से कोई जमीन या कोई प्रोजेक्ट होने से इंकार कर दिया। इसके बाद सबरजिस्ट्री विभाग में पत्र लिखकर पूछा गया कि क्या इन बकायेदार बिल्डरों के नाम कोई संपत्ति है तो वहां से भी जवाब आ गया कि उनके नाम कोई संपत्ति नहीं है। अब जिला प्रशासन की ओर से इस संबंध में रेरा को पत्र लिखकर पूरी जानकारी दे दी गई है।
इन्होंने लोगों को लूटा
सान्या इंटरनेशनल, प्रीमिया प्रोजेक्ट, सौम्य, कांस्पैट हॉरीजन, निवास प्रमोटर, कन्टेंड इन्फ्रा, कॉसमिक स्ट्रक्चर, बिलकोन, बीजीए डैवलपर, वर्धमान बिल्डर, आधार इन्फ्रा, एसोटेक, थ्री सी ग्रीन डैवलपर, आरसिस, रॉयल गोल्फ सिटी, कोलोनाइजर प्राइवेट लिमिटेड, अल्ट्रा होम प्राइवेट लिमिटेड, कृष्णा स्टेट प्राइवेट लिमिटेड आदि हैं।
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा, ‘नोएडा और ग्रेनो प्राधिकरण तथा रजिस्ट्री विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीस से अधिक बिल्डर ऐसे हैं, जिनका कोई ना तो प्रोजेक्ट है और ना ही उनके नाम कोई जमीन है। रेरा को पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा गया है। उनके खिलाफ रेरा द्वारा धोखाधड़ी के मामले में कानूनी कार्रवाई करेंगे। इन बिल्डरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर आगे की कार्रवाई होगी।’
आलीशान ऑफिस में बैठा की फ्लैटों की बुकिंग
गुरुग्राम निवासी ममता त्यागी, जिनके पति एक फार्मा कंपनी में उच्च पद पर हैं। उन्होंने बताया की वर्ष 2014 में उन्होंने सेक्टर 127 में बने थ्री सी ग्रीन डेवलपर के ऑफिस पर पहुंचें, यह बहुत आलीशान ऑफिस था, जहां पर मिले लोगों ने उन्हें अपने आने वाले प्रोजेक्ट की खूबियां बताई और वह उन्हें सेक्टर 79 में एक जगह ले गए जहां पर खाली खेत था, उस खेत को उन्होंने अपना भूखंड बताते हुए कहा कि यहीं पर उनका प्रोजेक्ट आ रहा है और अगले तीन सालों में वह इस प्रोजेक्ट को पूरा कर दें।
उन्होंने 37 लाख का भुगतान करते हुए थ्री बीएचके का फ्लैट वहां पर बुक करा दिया। इसके बाद उन्होंने जब जांच की तो पता चला कि उक्त बिल्डर का ऑफिस किराये की बिल्डिंग में था और वह जमीन भी उसकी नहीं थी। इसको लेकर वह रेरा में भी गई और रेरा से भी बिल्डर के खिलाफ आरसी जारी हो चुकी है। लेकिन अब ना बिल्डर का पता मिल रहा है ना उसके प्रोजेक्ट का। जिला प्रशासन भी उसे तलाश कर हार मान चुका है और रेरा को यह आरसी वापिस लौटाई जा रही हैं।
2016 में मिलना था कब्जा, अबतक पड़ा है खंडहर
जितेंद्र नैय्यर हिमाचल के रहने वाले हैं और वर्तमान में दिल्ली में रह रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने सेक्टर 140 में कॉसमिक कॉरपोरेट पार्क में 2013 में ऑफिस स्पेस बुक कराया था। इसके लिए 14 लाख रुपये जमा किए गये थे। बिल्डर का ऑफिस उस दौरान सेक्टर 16 में एक बिल्डिंग में बना हुआ था और उनसे कहा गया था कि उन्हें 2016 में ऑफिस पर कब्जा दे दिया जाएगा। लेकिन अभी तक उन्हें ऑफिस मिल नहीं सका है और वहां पर अधूरी बनी एक बिल्डिंग खड़ी है, जिसमें लंबे समय से कोई काम नहीं हुआ है। वह रेरा में गये थे और रेरा में उनकी सुनवाई हुई और वहां पर लगी आठ तारीखों में से एक में भी बिल्डर नहीं आया। इसके बाद रेरा ने करीब 22 लाख की आरसी जारी की थी। लेकिन अभी तक इस आरसी की वसूली नहीं हो सकी है, क्योंकि राजस्व विभाग की टीम का कहना है कि बिल्डर का कोई पता नहीं चल रहा है और उसका अब ऑफिस भी कहीं नहीं हैं और जो अधूरी बिल्डिंग पड़ी है, वहां पर भी कोई नहीं आता-जाता।
छह साल से कर रहे हैं संघर्ष, नहीं मिलता बिल्डर
अमित मिश्रा ने भी अर्थकोन बिल्डर की करीब 22 लाख रुपये की आरसी जारी कराई गई है। अमित का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2012 में इस प्रोजेक्ट में 16 सौ स्कवायर फीट का फ्लैट बुक कराया था। जो उन्हें 2015 में मिलना था। इस प्रोजेक्ट को ग्रेनो में चाईफाई में बनाया जा रहा था। लेकिन अभी तक भी प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो सका है। पिछले कई सालों से उनकी बिल्डर से कोई मुलाकात नहीं हो सकी है।
रेरा में चली सुनवाई के दौरान छह तारीख पड़ी, लेकिन एक पर भी बिल्डर सुनवाई में नहीं आया। अब वहां पर सिर्फ अधूरी बिल्डिंग बनी खड़ी है। आरसी कटे हुए भी करीब एक साल हो चुका है। जिसकी वसूली भी अभी तक नहीं हो सकी है। इसके बारे में राजस्व विभाग की टीम का कहना है कि बिल्डर का कुछ पता नहीं चल रहा है और ना ही उसका ऑफिस उन्हें मिला है।