कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के देश में कुल 50 मामले फिलहाल मौजूद हैं। डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले जिन राज्यों में मिले हैं, उनमें आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने कहा कि इन 8 राज्यों में ही 50 फीसदी से ज्यादा केस मिले हैं। शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ब्रीफिंग में मीडिया से बात करते हुए आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने कहा कि फिलहाल कोरोना का यह वैरिएंट दुनिया के 12 देशों में पाया गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इसके 50 केस भारत में हैं, लेकिन ये एक सीमित दायरे में ही हैं।
वहीं इस वैरिएंट पर कोरोना वैक्सीन के असर को लेकर उन्होंने कहा कि इसके लिए टेस्ट किए जा रहे हैं और आने वाले 7 से 10 दिनों इसके बारे में जानकारी मिल पाएगी। भार्गव ने कहा कि डेल्टा प्लस से पहले मिले अल्फा बीटा, गामा और डेल्टा जैसे वैरिएंट पर कोविशील्ड और कोवैक्सिन कारगर रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारी ओर से फिलहाल इसका परीक्षण जारी है कि कोरोना की वैक्सीन इस वैरिएंट पर कितना असर करती हैं। हमें लैबोरेट्री के नतीजों का इंतजार है। इसके रिजल्ट 7 से 10 दिन में आ जाएंगे। इसके अलावा कोरोना वैक्सीन को लेकर आईसीएमआर के डीजी ने एक और भ्रम दूर किया है।
गर्भवती महिलाओं को टीका लगने से विपरीत असर पड़ने की अफवाहों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। बलराम भार्गव ने कहा कि हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से यह गाइडलाइन जारी की गई है कि गर्भवती महिलाओं को भी कोरोना का टीका लगाया जा सकता है। वैक्सीनेशन गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है और यह होना चाहिए। बच्चों की वैक्सीन को लेकर बलराम भार्गव ने कहा कि अभी दुनिया में सिर्फ एक ही ऐसा देश है, जहां यह किया जा रहा है। हालांकि बेहद छोटे बच्चों को शायद कभी वैक्सीन की जरूरत न हो। यह एक बड़ा सवाल है।
बलराम भार्गव ने कहा कि फिलहाल हम बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर स्टडी कर रहे हैं और डेटा जुटा रहे हैं। मुझे लगता है कि हम बड़े पैमाने पर बच्चों को टीका लगाने की स्थिति नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि हमने 12 से 18 साल के किशोरों पर टीके को लेकर स्टडी शुरू कर दी है। इसके परिणाम सितंबर तक आने की उम्मीद है। हालांकि अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर चर्चा चल रही है कि बच्चों को टीका लगना चाहिए या फिर नहीं।