आपराधिक मानहानि के एक मुकदमे में गुरुवार को सूरत की एक मजिस्ट्रेट अदालत में पेश हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना बयान दर्ज कराते हुए माफी मांगने से इनकार कर दिया है। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी करने वाले कांग्रेस सांसद ने कोर्ट से कहा कि वह व्यंग्य कर रहे थे। साथ ही यह भी कहा कि उन्हें अब इसके बारे में बहुत कुछ याद भी नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल गांधी ने कोर्ट में कहा, ”मेरा इरादा किसी समुदाय को निशाना बनाने का नहीं था। मैं सिर्फ चुनावों के दौरान व्यंग्य कस रहा था। मुझे इसके बारे में अधिक याद भी नहीं है।” बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के वकील ने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल माफी नहीं मांगेंगे। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
गुजरात के एक विधायक ने राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। सूरत से भाजपा के विधायक पूर्णेश मोदी ने आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत अप्रैल 2019 में गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। एक हफ्ते पहले सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ए एन दवे ने मामले में अंतिम बयान दर्ज कराने के लिए गांधी को 24 जून को अदालत में मौजूद रहने का निर्देश दिया।
विधायक ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि गांधी ने 2019 में एक चुनावी रैली में यह कहकर पूरे मोदी समुदाय की मानहानि की कि, ”सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे है?” कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को हुई चुनावी रैली में गांधी ने कथित तौर पर कहा था, ”नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी… इन सभी का एक ही उपनाम मोदी कैसे है ? सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे है?” राहुल गांधी ने कथित तौर पर जब यह टिप्पणी की थी तब वह कांग्रेस अध्यक्ष थे। इससे पहले गांधी अक्टूबर 2019 में अदालत में पेश हुए थे और उन्होंने इस टिप्पणी के लिए खुद को दोषी नहीं माना था।