बीजेपी सांसद जॉन बारला द्वारा उत्तर बंगाल के जिलों को मिलाकर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग करने के कुछ दिनों बाद उनकी पार्टी के सहयोगी सौमित्र खान ने सोमवार को राज्य के जंगलमहल और आसपास के इलाकों के लिए इसी तरह की मांग की है। बहरहाल, बरला की तरह खान की मांग को पार्टी के राज्य नेतृत्व ने मंजूरी नहीं दी और स्पष्ट रूप से कहा कि वह बंगाल के विभाजन के पक्ष में नहीं है।
बिष्णुपुर से लोकसभा सदस्य ने दावा किया कि वर्षों से जंगलमहल इलाके का विकास नहीं हुआ और स्थानीय लोगों की मांग तभी पूरी होगी जब इलाके को बंगाल से अलग किया जाए और इसे राज्य का दर्जा दिया जाए। खान ने कहा, मेरा मानना है कि रोजगार और विकास की मांग को पूरा करने के लिए पुरुलिया, बांकुड़ा, झाड़ग्राम, बीरभूम के कुछ हिस्से तथा दो मेदिनीपुर जिलों और कुछ अन्य क्षेत्रों को मिलाकर जंगलमहल राज्य बनाया जाना चाहिए। जॉन बारला ने उत्तर बंगाल के लोगों की शिकायतों की आवाज उठाई है। मैं भी अपने क्षेत्र के लोगों के लिए यह मांग कर रहा हूं।
उन्होंने कहा कि उनकी मांग में कुछ भी अलगाववाद जैसा नहीं है। खान ने कहा, यह भारत का हिस्सा होगा और क्षेत्र को केंद्र द्वारा वित्तीय पैकेज से इंकार नहीं किया जाएगा जैसा कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में होता है। खान के विचारों से खुद को अलग करते हुए भाजपा प्रवक्ता शौमिक भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी बंगाल के विभाजन की मांग का समर्थन नहीं करती है। भट्टाचार्य ने कहा, राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को अक्षुण्ण रखते हुए हम संपूर्ण और समग्र विकास का समर्थन करते हैं।
उनसे सहमति जताते हुए भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, पार्टी बारला और खान के विचारों का समर्थन नहीं करती है। खान की टिप्पणियों को पूरी तरह खारिज करते हुए टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि राज्य की जनता द्वारा भाजपा को खारिज किए जाने के बाद वह विभाजन का मुद्दा उठा रही है, लेकिन उनकी योजना विफल होगी।
टीएमसी सासंद सौगत रॉय ने जानना चाहा कि भाजपा बारला एवं खान को क्यों नहीं पार्टी से निकाल रही है। रॉय ने कहा, अगर भाजपा अपने सांसदों के बयानों का समर्थन नहीं कर रही है, तो उन्हें निष्कासित क्यों नहीं कर रही है? पार्टी राज्य में अशांति फैलाने की योजना बना रही है।